Move to Jagran APP

भारत में आतंक फैलाने के लिए इस ना 'पाक' तरीके का इस्‍तेमाल करता है पाकिस्तान

पिछले हफ्ते गिरफ्तार आइएसआइ के जासूस दीना खान से पूछताछ में इस फंडिंग नेटवर्क का खुलासा हुआ है।

By Pratibha Kumari Edited By: Published: Thu, 08 Jun 2017 10:42 AM (IST)Updated: Thu, 08 Jun 2017 11:19 AM (IST)
भारत में आतंक फैलाने के लिए इस ना 'पाक' तरीके का इस्‍तेमाल करता है पाकिस्तान
भारत में आतंक फैलाने के लिए इस ना 'पाक' तरीके का इस्‍तेमाल करता है पाकिस्तान

नई दिल्‍ली। पाकिस्‍तान भले ही कितने दावा करता रहा हो कि वह आतंकवाद से निपटने के लिए कड़े कदम उठा रहा है, मगर आए दिन उसके दावे की पोल खुलती रहती है। राजस्‍थान पुलिस की खुफिया एजेंसियों के हवाले से एक अहम जानकारी सामने आई है।

loksabha election banner

आइएसआइ के जासूस ने किया खुलासा

पता चला है कि पाकिस्‍तान दरगाहों से मिलने वाले चंदे के पैसे से भारत में आतंकवाद फैलाने के लिए फंडिंग करता है। पिछले हफ्ते गिरफ्तार आइएसआइ के जासूस दीना खान से पूछताछ में इस फंडिंग नेटवर्क का खुलासा हुआ है।

टाइम्‍स ऑफ इंडिया के अनुसार, जासूस ने बताया कि आइएसआइ के हैंडलर्स दरगाहों के बाहर दान पेटी रख देते हैं और श्रद्धालु‍ओं द्वारा दान किए गए पैसे का इस्‍तेमाल भारत के सीमावर्ती गांवों में आतंकी गतिविधियों के लिए किया जाता है। दीना खान को पिछले हफ्ते बाड़मेर जिले के एक दूरदराज के गांव से गिरफ्तार किया गया है।

राज्‍य खुफिया एवं सुरक्षा एजेंसी के एक वरिष्‍ठ अधिकारी के अनुसार, खान ने बताया कि वह बाड़मेर जिले के चोहटान गांव में स्थित एक छोटी मजार का प्रभारी था। उसने मजार पर चंदे से प्राप्त पैसों में से करीब 3.5 लाख रुपए अन्य जासूसों जैसे सतराम माहेश्वरी और उनके भतीजे विनोद माहेश्वरी को दिए। वह पाकिस्तान में बैठे आइएसआइ के हैंडलर्स से फोन पर बात करता था, जहां से उसे पैसे बांटने का निर्देश दिया जाता था।

यह भी पढ़ें: मध्‍य प्रदेश किसान आंदोलन: मंदसौर के एसपी और कलेक्‍टर हटाए गए


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.