सरहद पर दो मोर्चों पर जूझती भारतीय फौज, गढ़ में घुस आतंकियों को सिखाया सबक
भारत ने अपनी इस कार्रवाई से यह साफ कर दिया है कि पाकिस्तान अब नहीं चेता तो इसके खतरनाक परिणाम होंगे।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। पाकिस्तान की नवनिर्वाचित सरकार के गठन के बाद भारतीय सेना ने आतंकियों के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई की है। भारतीय सेना ने पीओके में आतंकी कैंपों पर एक बड़ा हमला बोला है। भारतीय सेना का निशाना पीओके में हजीरा और रवालकोट सेक्टर था। दरअसल, ये इलाका आतंक का गढ़ है और पाकिस्तान यहीं से आतंकियों की घुसपैठ कराता है। हालांकि, इस वर्ष घुसपैठ और आतंक की सर्वाधिक वारदातें हुई लेकिन हर बार भारतीय सेना ने धैर्य से काम लिया। लेकिन पानी सिर से ऊपर बहने के बाद भारतीय सेना ने पीआेके में आतंकियों पर सख्त कार्रवाई की है।
भारत ने अपनी इस कार्रवाई से यह साफ कर दिया है कि पाकिस्तान अब नहीं चेता तो इसके खतरनाक परिणाम होंगे। पाकिस्तानी सेना ने सरहद से आतंकियों को भारत में प्रवेश के साथ कई बार एलओसी और सीमा रेखा का भी अतिक्रमण किया है। दरअसल, जम्मू कश्मीर में भारत दो मोर्चों पर एक साथ जूझ रहा है। पहला आतंकी घुसपैठ और दूसरा सरहद पार से पाकिस्तान सेना का लगातार हमला। आइए, जानते हैं कि इस वर्ष कितनी बार पाकिस्तानी सेना ने कितने बार किया करार का उल्लंघन।
गोलीबारी की घटनाओं में हुअा इजाफा
अगर राज्य में पिछले तीन वर्षों में पाकिस्तानी गोलीबारी की घटनाआें पर नजर दौड़ाए तो यह आंकड़े चौंकाने वाले हैं। वर्ष 2018 में पाकिस्तान की ओर सीमा रेखा पर सर्वाधिक घटनाएं गोलीबारी की हुई हैं। सात माह में पाकिस्तान ने 1435 दफे सीमा पर गोलीबारी की वारदात को अंजाम दिया। इस वर्ष वह लगातार भारत के धैर्य की परीक्षा लेता रहा है। पिछले साल की तुलना में इस वर्ष गोलीबारी की घटनाओं में ज्यादा इजाफा हुआ है। वर्ष 2017 में पाकिस्तानी सेना ने 971 बार सरहद पर गोलीबारी की घटनाएं की हैं।
तीन वर्षों में पाकिस्तानी गोलीबारी में बड़ी तादाद में नागरिक व सुरक्षाबलों के जवान हताहत हुए हैं। करीब 109 बेगुनाह लोग आतंक का शिकार हो चुके हैं। वहीं 550 से अधिक भारतीय जवान घायल हुए हैं। 2016 में पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर 221 बार सीजफायर उल्लंघन किया है। इसी तरह पाक सेना द्वारा इस वर्ष 228 बार नियंत्रण रेखा का अतिक्रमण किया गया। वर्ष 2017 में पाक सेना ने 111 बार अंतरराष्ट्रीय सीमा का अतिक्रमण किया और 860 बार नियंत्रण रेखा पार किया।
1990 के दशक में दोनों देशों के बीच शांति का करार
1990 के दशक में दोनों देशों ने सीमा रेखा पर शांति के लिए पहल की। इसके तहत भारत-पाकिस्तान के बीच एक करार हुआ। दोनों देशों के मध्य नियंत्रण रेखा और एलओसी पर एक बफर जोन की स्थापना की गई। इसके लिए बाकयदा नियम तय किए गए। इस समझौते के तहत यह तय हुआ कि नियंत्रण रेखा के एक किलोमीटर के दायरे में दोनों देश कोई विमान या ड्रोन नहीं उड़ा सकते। इसके साथ एलओसी के लिए भी कुछ नियम निर्धारित किए गए। एलओसी के दस किलोमीटर के दायरे में कोई फिक्स पंखों वाला विमान प्रवेश नहीं कर सकता है। लेकिन पाकिस्तान अपने ही बनाए नियमों की धज्जियां उड़ाता रहा है। पाकिस्तान ने इसका इस्तेमाल आतंकियों के घुसपैठ के लिए किया है।
एक ताजा मामले में दो माह पूर्व पाकिस्तानी सेना के हेलिकॉप्टर ने जम्मू-कश्मीर के पूंछ सेक्टर में नियंत्रण रेखा पर भारत की वायु सीमा में प्रवेश्ा किया। पाक सेना का यह हेलिकॉप्टर भारतीय क्षेत्र के 700 मीटर तक प्रवेश्ा कर गया था। इस वर्ष 21 फरवरी को भी एक पाकिस्तानी हेलिकॉप्टर नियंत्रण रेखा के पास पूंछ जिले के खारी कमारा क्षेत्र में 300 मीटर तक प्रवेश कर गया था। हालांकि, यहां मुस्तैद भारतीय सैनिकों ने कार्रवाई करते हुए इस हेलिकॉप्टर को सरहद से बाहर किया था।