पाक व चीन को भारत की दो टूक, आतंकवाद पर बदले चलन
विदेश मंत्रालय के दोनों राज्य मंत्री वी के सिंह और एम जे अकबर ने इन ढाई वर्षो का लेखा जोखा मीडिया के सामने पेश किया।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। यह बात सब मानते हैं कि राजग सरकार के पिछले ढ़ाई वर्षो के कार्यकाल में सबसे ज्यादा हलचल कूटनीतिक स्तर पर दिखाई दी है। आज विदेश मंत्रालय के दोनों राज्य मंत्री वी के सिंह और एम जे अकबर ने इन ढाई वर्षो का लेखा जोखा मीडिया के सामने पेश किया।
इस अवसर पर भारत ने एक ही मंच से आतंकवाद के मुद्दे पर कूटनीति कर रहे पाकिस्तान और चीन को यह संकेत दे दिया कि भारत अब पुराने ठर्रे की कूटनीति करने नहीं जा रहा। पाकिस्तान को यह संदेश दिया कि वह आतंकवाद का पोषण बंद करे तभी बातचीत का सिलसिला शुरु हो सकता है तो चीन को यह सुझाव दिया गया कि वह आतंकवाद को समर्थन देने की पाकिस्तान वाली गलती न करे।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज स्वास्थ्य लाभ कर रही हैं इसलिए उनकी अनुपस्थिति में दोनों राज्य मंत्रियों ने सरकार के प्रदर्शन का ब्यौरा दिया। वी के सिंह ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए भारत ने यही संदेश दिया कि आतंकवाद को अब कतई सहन नहीं किया जाएगा। मोदी सरकार ने 'पहले पड़ोसी' की नीति लागू की थी लेकिन पाकिस्तान को यह समझना होगा कि आतंकवाद और वार्ता साथ साथ नहीं चल सकते। पाकिस्तान को यह समझना होगा कि आतंकवाद के मुद्दे पर तमाम देश भारत के साथ हैं।
विदेश राज्य मंत्री एम जे अकबर ने चीन की तरफ से पाक आतंकी मौलाना मसूद अजहर को बचाने की कोशिशों पर पूछे गये सवालों का जवाब देते हुए कहा कि, 'संयुक्त राष्ट्र परिषद में 15 में से 14 देशों ने भारत के उस प्रस्ताव का समर्थन किया है जिसके तहत मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव किया गया है।
चीन को यह समझना चाहिए कि वह सिर्फ भारत की आवाज को ही अनसुनी नहीं कर रहा बल्कि दुनिया की मांग को अनसुनी कर रहा है। वैसे भी आतंकवाद उसे भी डसता है तो उसे पालता है। पाकिस्तान इसका उदाहरण है। चीन स्वयं आतंकवाद से पीडि़त है। भारत उम्मीद करता है कि चीन जल्द से जल्द आतंकवाद के खतरे को समझेगा।' सनद रहे कि चीन ने पिछले हफ्ते ही अजहर पर प्रतिबंध लगाने की भारत की कोशिशों पर पानी फेरने का काम किया है।
भारत ने अपने दो परंपरागत विरोधी राष्ट्रों पाकिस्तान और चीन के साथ रूस के बढ़ते रिश्तों को खास तवज्जो नहीं दी है। अकबर का कहना है कि रूस के साथ भारत के रिश्ते कई वर्षो के आपसी सहयोग व हितों के आधार पर बनी है। भारत व रूस के बीच बेहद मजबूत रक्षा व आर्थिक सहयोग का ढ़ांचा मौजूद है।
हमें उम्मीद है कि रूस ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगा जिससे भारत के हितों को नुकसान पहुंचे। इसी तरह से पड़ोसी मित्र देश नेपाल की सेना का चीन की सेना के साथ सैन्य अभ्यास करने को भी भारत ने फिलहाल कोई खास तवज्जो नहीं दी है। भारत ने कहा है कि नेपाल किसी भी देश के साथ सैन्य अभ्यास कर सकता है। भारत भी चीन के साथ करता है।
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