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पाकिस्तानी सेना और ISI बालाकोट में फिर से तैयार करवा रही आतंकी लांच पैड, सेना को मिले सबूत

पाकिस्तान और आइएसआइ ने एक बार फिर से बालाकोट में आतंकी लांच पैड एक्टिव कर दिए हैं। सेना प्रमुख ने इस बारे में कुछ दिन पहले जानकारी भी दी है।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Mon, 23 Sep 2019 03:26 PM (IST)Updated: Tue, 24 Sep 2019 03:13 PM (IST)
पाकिस्तानी सेना और ISI बालाकोट में फिर से तैयार करवा रही आतंकी लांच पैड, सेना को मिले सबूत
पाकिस्तानी सेना और ISI बालाकोट में फिर से तैयार करवा रही आतंकी लांच पैड, सेना को मिले सबूत

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। पाकिस्तान भारत की शांति व्यवस्था को भंग करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहता है इसी वजह से वो सीमापार से भारत में आतंकी भेजने की तरह-तरह की योजनाएं बनाता रहता है। इन आतंकियों को भारत में भेजने के लिए बकायदा लांच पैड तैयार किए जाते हैं उसके बाद बैकअप देकर उन्हें सीमा पार कराई जाती है। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने भी इसको लेकर एक बड़ा खुलासा किया है। जनरल बिपिन रावत ने बताया है कि पाकिस्तान ने एकबार फिर बालाकोट में आतंकी कैंप सक्रिय कर दिए हैं। जिस बालाकोट में सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक करके आतंकी कैंप और लांच पैड खत्म कर दिए थे अब वहां पर फिर से वही गतिविधियां शुरु हो गई हैं। अब पाक इस रास्ते लगभग 500 आतंकियों की घुसपैठ कराने की तैयारी कर रहा है। 

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आतंकियों के 8 से 10 ग्रुप मौजूद 

खुफिया सूत्रों के अनुसार सीमा पार अब पाकिस्तान ने जो लांच पैड तैयार किए हैं वहां पर आतंकियों के करीब 8 से 10 ग्रुप मौजूद है। यहां एक ग्रुप में 8 से 10 आतंकियों का ही ग्रुप भी बनाया गया है। इन सभी को हथियार चलाने, अपना वेश बदलने, स्थानीय लोगों के साथ घुलमिल जाने जैसी तमाम ट्रेनिंग दी जा रही है। ये भी जानकारी मिली है कि पाकिस्तान आतंकियों को गुरेज सेक्‍टर की ओर से सीमा पार कराने की तैयारी में है, इसके लिए अन्य योजनाएं भी बनाई जा रही हैं।

आतंकियों की नई खेप में अफगान मूल के अधिक लोग 

बताया जा रहा है कि आतंकियों की यह नई खेप मूलतः अफगानी है। इन लोगों का चुनाव इसलिए किया गया है क्योंकि इनके चेहरे कश्मीरियों की तरह मिलते-जुलते भी हैं। बताया जा रहा है कि पाकिस्‍तानी सेना ने इन लोगों का चुनाव इसलिए किया है ताकि ये घुसपैठ के बाद आसानी से वहां के लोगों में घुल मिल जाएं, इससे इनके जल्दी पहचाने जाने की उम्मीद नहीं होगी और सेना को भी इनके बारे में जानकारी नहीं मिल सकेगी। 

पाक ने फिर एक्टिव किया लांच पैड 

पाकिस्तान को यूएनएचआरसी(UNHRC)में कश्मीर मुद्दे पर कुछ भी हासिल नहीं हो सका। इससे वहां की सरकार और आतंकी संगठन बौखलाए हुए हैं। भारत की शांति को खराब करने के लिए अब पाकिस्तान ने एक बार फिर एलओसी (LoC)पर आतंकी कैंप सक्रिय कर दिए हैं। पाकिस्तान ने एलओसी के पास अपने इन लॉन्च पैड से 275 जिहादियों को सीमापार से घुसपैठ की कोशिश करने में लगा हुआ है।

पाकिस्तानी सेना और ISI की साजिश 

पाकिस्तान सेना और ISI ने उत्तरी कश्मीर के गुरेज सेक्टर के रास्ते काफी संख्या में घुसपैठ के लिए आतंकी लॉन्च पैड बनाए हैं। एलओसी से सटे गुरेज सेक्टर के पास 70 आतंकी, मच्छल के पास 60 आतंकी, करनाह के पास 60 आतंकी, केरन के पास 50, उरी में 30 आतंकी, नौगाम सेक्टर में 25 आतंकी और रामपुर सेक्टर में 20 आतंकी कैंपों में रह रहे हैं। ये सभी सीमापार से इन जगहों में घुसपैठ की कोशिश में बैठे हुए हैं। 

कहां है बालाकोट

बालाकोट पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के मनसेहरा जिले में है, जो एबटाबाद से 63 किमी उत्तर में है, जहां मई 2011 में अमेरिकी सैनिकों ने ओसामा बिन लादेन को मार गिराया था। यह पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से लगभग 200 किलोमीटर और गुलाम कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद के उत्तर-पश्चिम से 40 किमी दूर है।

भारतीय जांबाजों ने किया था नेस्तनाबूद

भारतीय वायुसेना ने बालाकोट में जबाह टॉप नामक एक पहाड़ी पर हमला किया था, जहां जैश-ए-मुहम्मद के आतंकियों ने डेरा जमा रखा था। भारतीय खुफिया एजेंसियों द्वारा पाकिस्तान को दिए गए एक डोजियर के अनुसार, उस पहाड़ी पर मौजूद प्रशिक्षण शिविर छह एकड़ में फैला था, जिसमें 600 आतंकवादियों को ठहराया जा सकता था। डोजियर में जैश आतंकियों की व्यापक सूची भी थी, जिन्होंने शिविर में प्रशिक्षण प्राप्त किया था। साथ ही उसमें प्रशिक्षण शिविर के परिसर में घूम रहे आतंकवादियों के फोटोग्राफिक साक्ष्य, उनके व्यायाम कक्ष, गोला बारूद की जानकारी मौजूद थी। 

केंद्र में आतंकवाद

बालाकोट ही नहीं पूरा मानसेहरा जिला, लंबे समय से पाकिस्तानी सुरक्षा प्रतिष्ठान की जिहादी परियोजना का केंद्र रहा है। इस क्षेत्र में मस्जिदों और मदरसों की बहुत बड़ी संख्या है, और यहीं पर अफगान युद्ध के लिए और बाद में कश्मीर के लिए जिहादियों को प्रशिक्षित करने के लिए पहली बार आतंकी शिविर की स्थापना की गई थी। बालाकोट के करीब गढ़ी हबीबुल्ला है, जहां हिजबुल मुजाहिद्दीन का प्रशिक्षण शिविर है।

जैश की गतिविधियों का केंद्र

भारतीय वायुसेना द्वारा की गई एयर स्ट्राइक के बाद अपनी मीडिया ब्रीफिंग में विदेश सचिव विजय गोखले ने उल्लेख किया था कि जैश प्रमुख मसूद अजहर ने बालाकोट आतंकी प्रशिक्षण शिविर की देखरेख की जिम्मेदारी अपने बहनोई यूसुफ अजहर को दी थी। भारतीय डोजियर में यूसुफ अज़हर की तस्वीरें, उसके द्वारा उपयोग किए जाने वाले वाहन और बालाकोट में मौजूद फायरिंग रेंज की जानकारी थी। भारतीय खुफिया जानकारी के अनुसार, 1 अप्रैल, 2018 को बालाकोट में आतंकवादी भर्तियों के पासिंग आउट में मसूद अजहर के भाई अब्दुल रऊफ असगर ने भाग लिया था। 

बालाकोट का है बड़ा महत्व

बालाकोट का जैश-ए-मुहम्मद के लिए बहुत प्रतीकात्मक महत्व है। यह बरेलवी आंदोलन के नेता सैयद अहमद शहीद और उनके सहयोगी शाह इस्माइल शहीद की कब्र है, जो मई 1831 में सिख सम्राट महाराजा रणजीत सिंह की सेना के खिलाफ लड़ते हुए यहां मारे गए थे। बालाकोट में जैश प्रशिक्षण शिविर का नाम सैयद अहमद शहीद के नाम पर रखा गया है।

भारतीय खुफिया विभाग का मानना है कि मसूद अजहर के दो भतीजों (पहलाताल्हा रशीद था, जो अजहर के बहनोई अब्दुल रशीद का बेटा था और नवंबर2017 में पुलवामा में एक मुठभेड़ में मारा गया था। दूसरा आतंकी अक्टूबर 2018 में त्राल में मारा जाने वाला उस्मान हैदर जो आइसी-814 के अपहरण करने वालों में से एक इब्राहीम अजहर का बेटा) के मारे जाने के बाद जैश के सैयद अहमद शहीद प्रशिक्षण शिविर के अंदर की गतिविधियां अधिक संगठित हो गईं, और शिविर में बड़ी संख्या में आतंकियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

अफगान और पश्तून सिपाही भी तैनात किए 

जम्मू-कश्मीर में अशांति फैलाने के लिए अफगान और पश्तून सिपाही भी तैनात किए जा रहे हैं। पाकिस्तान ने यह कदम ऐसे वक्त में उठाया है जब अगले महीने वैश्विक आतंकी वित्त पोषण गतिविधियों पर नजर रखने वाली संस्था फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स (FATF)पाकिस्तान के भविष्य पर महत्वपूर्ण फैसला लेने वाला है। सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान द्वारा अफगान और पश्तून जिहादियों को सीमापार से आतंकी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल करना कोई अचरज की बात नहीं है। इससे पहले 1990 के दौर में भी पाकिस्तान ने विदेशी लड़ाकों को कश्मीर में हिंसा भड़काने और आतंक फैलाने के लिए इस्तेमाल किया था। 

घुसपैठ कराने के लिए पाक सेना की टुकड़ी और बैट कमांडो मौजूद 

खुफिया जानकारी के अनुसार पाकिस्तान ने जो लांच पैड तैयार किए हैं वहां पर पाक सेना की टुकड़ी और बैट के कमांडो भी मौजूद हैं ये वहां पर तैयार आतंकियों को सीमा पार कराने में भूमिका निभाएंगे। सीमा पार कराने के दौरान सेना के लोग इन आतंकियों को कवर फायर देंगे और बैट कमांडो सेना के जवानों का ध्यान भटकाने का काम करेंगे।

मोबाइल सिग्नल स्ट्रेंथ में भारी कमी 

यह भी सूचना है कि बैकअप के लिए SSG(Special Service Group)के 22 कमांडो यहां मौजूद हैं। आतंकी साजिशों को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान ने अपने हिस्से में मोबाइल सिग्नल स्ट्रेंथ में भारी कमी की है, पाकिस्तान को डर है कि उसका सिग्नल स्ट्रेंथ ज्यादा है जिसे भारतीय सेना इंटरसेप्ट कर रही है जिससे उसकी साजिशें लगातार फेल हो रही है। एक बात ये भी कही जा रही है कि ठंडक का मौसम शुरु होने से पहले पाक भारतीय हिस्से में घुसपैठ की अब तक की सबसे बड़ी तैयारी कर रहा है। 

पाक ने सबसे पहले विदेशी लड़ाकों का किया था प्रयोग 

भारत के खिलाफ आतंक फैलाने के लिए पाकिस्तान शुरु से ही कुछ न कुछ करता रहा है। 1990 के दशक में पाकिस्तान ने सबसे पहले विदेशी लड़ाकों का प्रयोग भारत के खिलाफ सीमापार से आतंक फैलाने के लिए किया था। भारत ने जब पाक प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तो पाकिस्तान ने अपनी रणनीति में बदलाव किया। भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी इस मुद्दे को कई बार उठा चुका है। इसके अलावा आतंक के सबूत भी दे चुका है जिससे कोई ये न कहने पाएं कि भारत पाकिस्तान को बदनाम करने के लिए कोई काम कर रहा है। पाकिस्तान अब आमतौर पर पंजाब और पीओके के जनजातीय समुदाय को ही कश्मीर में हिंसा के काम के लिए भेज रहा है।  

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