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पाकिस्तान में कटास राज मंदिरों के दर्शन के लिए भारतीय श्रद्धालुओं को वीजा जारी

पिछले साल 13 से 19 दिसंबर के बीच 88 भारतीय हिंदू श्रद्धालु श्री कटार राज मंदिरों का दर्शन करके आए थे।

By Manish PandeyEdited By: Published: Mon, 17 Feb 2020 11:10 PM (IST)Updated: Mon, 17 Feb 2020 11:10 PM (IST)
पाकिस्तान में कटास राज मंदिरों के दर्शन के लिए भारतीय श्रद्धालुओं को वीजा जारी
पाकिस्तान में कटास राज मंदिरों के दर्शन के लिए भारतीय श्रद्धालुओं को वीजा जारी

नई दिल्ली, एजेंसियां। पाकिस्तानी उच्चायोग ने सोमवार को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चकवाल जिले में स्थित श्री कटास राज मंदिरों के दर्शन के लिए हिंदू श्रद्धालुओं के एक समूह को वीजा दिया है।

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पाकिस्तान उच्चायोग ने एक बयान जारी करके कहा है कि 19 से 25 फरवरी तक किला कटास या कटास मंदिरों के परिसर के दर्शन के लिए हिंदू श्रद्धालुओं का एक जत्था जाएगा। पाकिस्तान में स्थित सबसे प्राचीन और अहम हिंदू मंदिरों का समूह कटास नाम के एक पवित्र सरोवर के किनारे-किनारे स्थित है।

पिछले साल 13 से 19 दिसंबर के बीच 88 भारतीय हिंदू श्रद्धालु श्री कटार राज मंदिरों का दर्शन करके आए थे। यह दोनों ही तीर्थ यात्राएं भारत-पाकिस्तान प्रोटोकाल, 1974 के तहत आयोजित की गईं। इसके जरिये दोनों देशों के श्रद्धालु दोनों देशों में स्थित अपने धर्मस्थलों में जा सकते हैं। इसीलिए पाकिस्तान सरकार समय-समय पर हिंदू और सिख श्रद्धालुओं को वीजा देती है।

अब केवल राम, शिव और हनुमान के मंदिर बचे हैं

कटास राज मंदिर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चकवाल जिले में स्थित है। यह सात मंदिरों का समूह था, जिसमें से अब सिर्फ चार मंदिर बचे हैं। इनमें भगवान राम, शिव और हनुमान के मंदिर हैं। साथ ही यहां पर स्थित सरोवर के बारे में मान्यता है कि सती की अग्नि समाधि से दुखी भगवान शिव की आंखों से गिरे दो आंसुओं में से एक यहां पर गिरा था। जिससे यह सरोवर बना। दूसरा आंसू राजस्थान के पुष्कर में गिरा। वहां भी पुष्कर सरोवर है। कटाक्ष से कटास राज की उत्पत्ति मानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि दक्ष प्रजापति ने भगवान शिव को लेकर बहुत कटाक्ष किए थे। वहीं महाभारत काल में पांडव भी यहां पहुंचे थे। इसके अतिरिक्त यह कला और संस्कृति का भी कभी बड़ा केंद्र हुआ करता था। 11वीं सदी में महमूद गजनवी के आक्रमण के बाद इस मंदिर को क्षति पहुंची थी। कई ऐतिहासिक अभिलेख बताते हैं कि इनमें से कई मंदिर कश्मीरी वास्तुकला को प्रदर्शित करते हैं। कटास राज केवल हिंदू मंदिर नहीं है। मान्यता है कि गुरुनानक देव भी यहां पर आए थे। साथ ही यहां पर एक बौद्ध स्तूप के अवशेष भी मिले थे।


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