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जानिए- कौन हैं 'वृक्ष माता' सालूमरदा थीमक्का, प्रोटोकॉल तोड़ राष्‍ट्रपति कोविंद को दिया आशीर्वाद

कर्नाटक की रहने वालीं सालूमरदा थीमक्का पर्यावरणविद् हैं। थीमक्का ने बरगद के 400 पेड़ों समेत 8000 से ज्यादा पेड़ लगाएं हैं और यही वजह है कि उन्हें वृक्ष माता की उपाधि मिली।

By Tilak RajEdited By: Published: Sat, 16 Mar 2019 07:26 PM (IST)Updated: Sat, 16 Mar 2019 08:30 PM (IST)
जानिए- कौन हैं 'वृक्ष माता' सालूमरदा थीमक्का, प्रोटोकॉल तोड़ राष्‍ट्रपति कोविंद को दिया आशीर्वाद
जानिए- कौन हैं 'वृक्ष माता' सालूमरदा थीमक्का, प्रोटोकॉल तोड़ राष्‍ट्रपति कोविंद को दिया आशीर्वाद

नई दिल्‍ली, जेएनएन। राष्‍ट्रपति भवन के कुछ कड़े नियम-कानून हैं। लेकिन पद्म पुरस्कारों के वितरण समारोह के दौरान राष्ट्रपति भवन का प्रोटोकॉल कर्नाटक की 107 वर्षीय सालूमरदा थीमक्का उर्फ 'वृक्ष माता' ने तोड़ दिया है। आमतौर पर ऐसा कम ही देखने को मिलता है। लेकिन वृक्ष माता ने जब राष्‍ट्रपति भवन में प्रोटोकॉल तोड़ा, तब वहां तालियों की गड़गड़ाहट गूंजने लगी।

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वृक्ष माता बनने का सफर
कर्नाटक की रहने वालीं सालूमरदा थीमक्का पर्यावरणविद् और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। थीमक्का ने बरगद के 400 पेड़ों समेत 8000 से ज्यादा पेड़ लगाएं हैं और यही वजह है कि उन्हें 'वृक्ष माता' की उपाधि मिली है। उन्‍होंने लगभग 4 किलोमीटर के क्षेत्र में पेड़ लगाए हैं, जिससे वो क्षेत्र काफी हरा-भरा हो गया है। प्रकृति के प्रति उनका लगाव देखते हुए थीमक्‍का का नाम 'सालूमरादा' रख दिया गया। सालूमरादा एक कन्‍नड़ भाषा का शब्‍द है, जिसका अर्थ होता है 'वृक्षों की पंक्ति और ये नाम काफी लोकप्रिय हो गया। थीमक्‍का को अब तक कई अवार्ड मिल चुके हैं। अब उन्‍हें पद्म सम्‍मान से नवाजा जा चुका है।

ऐसे में मिली पेड़ लगाने की प्रेरणा
थीमक्का की कहानी धैर्य और ऐसे दृढ़ संकल्प की कहानी है, जिसने उन्‍हें विश्‍वप्रसिद्ध कर दिया है। एक समय थीमक्‍का भी साधारण जिंदगी जी रही थीं। लेकिन शादी के काफी समय बाद भी उन्‍हें बच्‍चा नहीं हुआ। ऐसे में जब वह उम्र के चौथे दशक में थीं, बच्चा न होने के गम वह खुदकुशी करने की सोच रही थीं। लेकिन अपने पति के सहयोग से उन्होंने पौधरोपण में जीवन का संतोष तलाश लिया। इसके बाद उन्‍होंने पूरा जीवन पौधरोपण के लिए समर्पित कर दिया है। वह रोजाना पति के साथ निकलतीं और जब संभव होता वहां पौधे लगा देतीं। इस तरह उन्‍होंने लगभग 8000 हजार पौधे लगा दिए। ये कारनामा उन्‍होंने 65 साल के दौरान कर दिखाया है। साल 1991 में उनके पति की मृत्‍यु हो गई थी।

ऐसे टूटा राष्‍ट्रपति भवन का प्रोटोकॉल
दरअसल, जब थीमक्का से 33 साल छोटे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पुरस्कार देते वक्त उनसे चेहरा कैमरे की तरफ करने का आग्रह किया, तब उन्होंने राष्ट्रपति का माथा छू लिया और आशीर्वाद दिया। थीमक्का की ममता भरे स्‍पर्श से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य मेहमानों के चेहरे पर मुस्कान आ गई। इसके बाद समारोह कक्ष उत्साहपूर्वक तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। राष्‍ट्रपति भवन में ऐसा नजारा बेहद कम देखने को मिलता है।


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