केंद्र ने माना, उत्तराखंड में हुई छह हजार मौतें
प्राकृतिक आपदा से तबाह उत्तराखंड के दीर्घकालिक पुनर्वास और पुनर्निर्माण का भरोसा देते हुए केंद्र ने कहा कि भविष्य में ऐसे संकटों से निपटने के लिए राज्य को पूरी तरह सुसज्जित किया जाएगा। रक्षा मंत्री एके एंटनी ने कहा है कि उत्तराखंड की आपदा में छह हजार से ज्यादा लोगों के मारे जाने की आशंका है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्राकृतिक आपदा से तबाह उत्तराखंड के दीर्घकालिक पुनर्वास और पुनर्निर्माण का भरोसा देते हुए केंद्र ने कहा कि भविष्य में ऐसे संकटों से निपटने के लिए राज्य को पूरी तरह सुसज्जित किया जाएगा। रक्षा मंत्री एके एंटनी ने कहा है कि उत्तराखंड की आपदा में छह हजार से ज्यादा लोगों के मारे जाने की आशंका है। यह पहला मौका है, जब केंद्र सरकार ने आपदा में इतनी जनहानि की बात को स्वीकार किया है।
एंटनी ने मंगलवार को राज्यसभा में उत्तराखंड की प्राकृतिक आपदा पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा, आपदा में 580 लोगों की जानें गई हैं। 5474 लोग लापता हैं, जिनके मारे जाने की आशंका है। बचाव व राहत राज्यों का विस्तार से ब्योरा देते हुए उन्होंने कहा, सेना, वायुसेना, भारत तिब्बत सीमा पुलिस, सीमा सड़क संगठन, सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा समेत अन्य मंत्रालयों ने राज्य सरकार को तत्काल मदद मुहैया कराई। राज्य में हुए नुकसान का आकलन करने और पुन: निर्माण व पुनर्वास में होने वाले खर्च का आंकलन करने के लिए एक केंद्रीय दल उत्तराखंड का दौरा कर चुका है। उसकी सिफारिशों के बाद जरूरत के अनुसार राज्य के लिए अतिरिक्त राशि जारी की जाएगी।
इससे पूर्व बसपा प्रमुख मायावती ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए उत्तराखंड की तबाही के शिकार लोगों को मकान और उनकी रोजी-रोटी के लिए तत्काल इंतजाम करने की अपील की। उन्होंने केंद्र सरकार की ओर से गठित उच्च स्तरीय समिति की जहां प्रशंसा की, वहीं यह भी कहा कि राज्य में होने वाले कार्यो की निगरानी के लिए गठित समिति में उन राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को भी रखा जाए, जो वहां सक्रिय हैं। उन्होंने भाजपा के इस सुझाव की प्रशंसा भी की। मायावती ने तीर्थस्थल बद्रीनाथ व केदारनाथ को जल्दी से जल्दी बहाल करने के लिए दबाव बनाया। साथ ही, उत्तराखंड की प्राकृतिक आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का सुझाव दिया। जद यू नेता एनके सिंह ने आपदा में केंद्र व राज्य सरकार की विफलता पर गंभीर चिंता जताते हुए उनकी आलोचना की। इस चर्चा में बड़ी संख्या में सदस्यों ने हिस्सा लिया और उत्तराखंड की मदद में किसी तरह की कोताही न बरतने का सुझाव भी दिया।
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