Move to Jagran APP

जब 8.7 की तीव्रता वाले भूकंप से कांप उठी थी भारत नेपाल की धरती, मारे गए थे 11 हजार लोग

भारत के बिहार से लेकर नेपाल के काठमांडू तक एक झटके में ताश के पत्‍तों की तरह घर बिखरते चले गए। देखते ही देखते 11 हजार लोग मौत के आगोश में समा गए।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 15 Jan 2019 05:08 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jan 2019 05:08 PM (IST)
जब 8.7 की तीव्रता वाले भूकंप से कांप उठी थी भारत नेपाल की धरती, मारे गए थे 11 हजार लोग
जब 8.7 की तीव्रता वाले भूकंप से कांप उठी थी भारत नेपाल की धरती, मारे गए थे 11 हजार लोग

नइ दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। 15 जनवरी 1934 का वह काला दिन जब भारत और नेपाल के कई हिस्‍से 8.7 की तीव्रता वाले भूकंप से कांप उठे थे। पल भर के अंदर दोनों देशों का मंजर बदल चुका था। बिहार से लेकर काठमांडू तक की जमीन मानों पूरी तरह से करवट लेने पर तुली थी। देखते ही देखते ताश के पत्‍तों की तरह घर धराशायी हो रहे थे। हर तरफ चींख-पुकार मची थी। कोई खुद को बचाने के लिए भाग रहा था तो कोई अपनों को बचाने के लिए बेतहाशा दौड़ रहा था। लेकिन इनमें से अधिकतर लोगों के हाथों में निराशा ही हाथ लग रही थी। इस भूकंप में कुछ ही समय में 11 हजार लोगों की सांसे हमेशा के लिए रोक दी थीं।

loksabha election banner

इसकी वजह से जबरदस्‍त जानमाल का नुकसान हुआ था। इस भूकंप भूकंप का केंद्र पूर्वी नेपाल से करीब 10 किलोमीटर दूर माउंट एवरेस्ट के दक्षिण में था। पूर्व में पूर्णिया से पश्चिम में चंपारन तक करीब 320 किलोमीटर के क्षेत्र, और उत्तर में काठमांडू से दक्षिण में मुंगेर तक के क्षेत्र में इसका जबरदस्‍त प्रभाव देखने को मिला था। यह भारतीय प्रायद्वीप में अब तक का सबसे खतरनाक भूकंप माना जाता है।

इस भूकंप से नेपाल के काठमांडू, भक्तापुर और पाटन में सड़कों में गहरी दरारें पड़ गईं। हालांकि प्रसिद्ध मंदिर पशुपतिनाथ को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। वहीं बिहार की बात करें तो इस भूकंप से मुजफ्फरपुर और मुंगेर शहर का आधे से ज्‍यादा हिस्‍सा पूरी तरह से बर्बाद हो गया था। इसके अलावा मोतीहारी और दरभंगा शहरों में भी जान माल का भारी नुकसान हुआ था। बिहार के अलावा भारत के असम और पंजाब में भी झटका महसूस किया गया था। इस भूकंप के बाद आए हल्‍के झटकों ने भी यहां पर लोगों के दिलों में दहशत फैलाने का काम किया था।

इसके बाद अप्रैल 2015 में नेपाल में दूसरी बार भीषण भूकंप आया था जिसको रिक्‍टर स्‍केल पर 7.8 मापा गया था। इस भूकंप से नेपाल को आर्थिक तौर पर जबरदस्‍त झटका लगा था। इस भूकंप में करीब 10 हजार लोग मारे गए थे और करीब 20 हजार लोग घायल हुए थे। इसका असर नेपाल के अलावा भारत, चीन और बांग्‍लादेश तक भी देखा गया था। इसका केंद्र नेपाल के लामजुंग से करीब 38 किमी॰ दूर स्थित था। इसकी वजह से माउंट एवरेस्‍ट पर आए भूस्‍खलन ने कई पर्वतारोहियों को अपनी चपेट में ले लिया था। इसमें 17 पर्वतारोहियों की मौत हो गई थी। इसकी वजह से काठमांडू घाटी में यूनेस्को विश्व धरोहर समेत कई प्राचीन एतिहासिक इमारतों को नुकसान पहुचां और कई तो पूरी तरह से ध्‍वस्‍त हो गई थीं। 18वीं सदी में निर्मित धरहरा मीनार इन्‍हीं में से एक थी। अकेले इस मीनार के मलबे से 200 से ज्यादा शव निकाले गए थे। इस भूकंप ने आर्थिक दृष्टि से नेपाल की कमर तोड़ कर रख दी थी, जिससे वह आज तक भी उबर नहीं पाया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.