मिजोरम में अफ्रीकी स्वाइन फ्लू का कहर, 10,621 सूअरों की मौत, 117 करोड़ रुपये का नुकसान
अफ्रीकी स्वाइन फ्लू (African Swine Fever ASF) ने मिजोरम के सभी 11 जिलों में पशुओं पर कहर बरपा रखा है। अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि मार्च से अब तक 10621 सूअरों की मौत इस बीमारी के चलते हुई है।
आइजल, आइएएनएस। अफ्रीकी स्वाइन फ्लू (African Swine Fever, ASF) ने मिजोरम के सभी 11 जिलों में पशुओं पर कहर बरपा रखा है। अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि मार्च से अब तक 10,621 सूअरों की मौत इस बीमारी के चलते हुई है। मिजोरम के पशुपालन एवं पशु चिकित्सा विभाग का कहना है कि अफ्रीकी स्वाइन फ्लू के चलते पशुपालन व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इस संक्रामक बीमारी के चलते अब तक 117 करोड़ रुपये का वित्तीय नुकसान हुआ है।
राज्य के पशुपालन एवं पशु चिकित्सा विभाग के मंत्री के. बिछुआ ने सुअर पालन करने वाले किसानों के लिए वित्तीय सहायता तय करने के लिए एक समीक्षा बैठक की। एक अधिकारी ने बताया कि वायरस से संक्रमित सूअरों को मारने और बीमार जानवरों को अलग करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। सुअरों आश्रयों की बड़े पैमाने पर साफ सफाई की जा रही है। सूअरों की मौत रोकने के लिए किसानों के बीच जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।
अधिकारियों ने बताया कि संक्रामक बीमारी के कारण पहली सुअर की मौत 21 मार्च को दक्षिणी मिजोरम के लुंगलेई जिले के लुंगसेन गांव में हुई थी। यह इलाका बांग्लादेश और म्यांमार की सीमा से लगा हुआ है। बाद में यह बीमारी सभी जिलों में फैल गई है। समाचार एजेंसी आइएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक पूर्वोत्तर का साला पोर्क कारोबार लगभग 8,000-10,000 करोड़ रुपये का है। इसमें असम सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अफ्रीकी स्वाइन फ्लू से मनुष्य संक्रमित नहीं होते हैं। हालांकि यह वायरस के वाहक हो सकते हैं। पहली बार इस बीमारी का पता 1921 में केन्या में चला था। वहीं समाचार एजेंसी रॉयटर की रिपोर्ट के मुताबिक चीन में अफ्रीकन स्वाइन फ्लू के कारण बड़ी संख्या में सूअरों की मौत हुई है। मालूम हो कि करीब दो साल पहले 2018 में स्वाइन फीवर ने चीन के करीब 40 करोड़ सूअरों में से आधे की जान ले ली थी।