चेन्नई में CAA और NRC के खिलाफ हिंसक हुआ विरोध प्रदर्शन, 100 से अधिक हिरासत में
बता दें पुलिस ने 14 फरवरी की शाम चेन्नई के वाशरमैनपेट में 100 से अधिक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया।
चेन्नई, एएनआइ।चेन्नई में आज लोगों ने वाशरमैनपेट में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। गौरतलब है कि यहां बीती रात पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हाथापाई हुई थी। इस हाथापाई के बाद 100 से अधिक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया था।
— ANI (@ANI) February 15, 2020
इस बीच चेन्नई में सीएए और एनआरसी के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन उस वक्त हिंसक हो गया, जब प्रदर्शनकारियों का एक समूह पुलिस से भिड़ गया। इस हिंसा में चार पुलिसकर्मी घायल हो गए।
चेन्नई में 14 फरवरी को सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध कर रहे 100 से अधिक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया गया। पुलिस ने 14 फरवरी की शाम चेन्नई के वाशरमैनपेट में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (NRC) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान उनके साथ हाथापाई के बाद, 100 से अधिक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया।
वहां प्रदर्शनकारी बड़ी संख्या में एकत्रित हुए थे और वह विरोध प्रदर्शन के दौरान सीएए और एनआरसी के खिलाफ नारे लगा रहे थे।इसके बाद वे पुलिस बैरिकेड्स के खिलाफ आगे बढ़ने लगे, जिसके बाद हाथापाई हुई, पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए बैटन चार्ज का भी सहारा लिया।पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेने के बाद, अन्ना सलाई में माउंट रोड दरगाह के पास एक विरोध प्रदर्शन किया गया था, हालांकि, इसे अस्थायी रूप से वापस ले लिया गया था।
सीएए और एनआरसी पर केंद्र को नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता संशोधन कानून, 2019 (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाने वाली एक याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। देवबंदी विचारधारा के इस्लामी संगठन जमियत उलेमा-ए-हिंद ने यह याचिका दायर की है। सर्वोच्च अदालत ने इस याचिका के साथ ही संबंधित और मामलों को भी संलग्न कर दिया है। दरअसल सौ से अधिक याचिकाएं सीएए के विरोध और समर्थन में सुप्रीम कोर्ट में दायर हैं।
नागरिकता संशोधन कानून पर देश के कई हिस्सों में अब भी प्रदर्शन जारी है। इस कानून के जरिये इस्लामिक पड़ोसी देश अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में धर्म के आधार पर प्रताड़ित अल्पसंख्यक हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी को नागरिकता दी जाएगी, लेकिन भारत की नागरिकता के लिए केवल उन्हीं के आवेदन स्वीकार किए जाएंगे जो 31 दिसंबर, 2014 तक भारत में आ चुके हैं।
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने विगत सात फरवरी को असम समझौते को प्रभावी रूप से लागू करने और नागरिकता संशोधन कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था।