हनीट्रैप मामले में लेन-देन के दस्तावेज 10 दिनों में आयकर को सौंपने का आदेश
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह हनीट्रैप मामले में पैसों के लेन-देन का डेटा और दस्तावेज 10 दिन में आयकर विभाग को सौंप दे।
इंदौर, जेएनएन। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह हनीट्रैप मामले में पैसों के लेन-देन का डेटा और दस्तावेज 10 दिन में आयकर विभाग को सौंप दे। हाई कोर्ट ने यह आदेश विभाग के उस आवेदन पर दिया जिसमें कहा था कि उसे लेन-देन की जांच करनी है, लेकिन दस्तावेज नहीं मिल रहे हैं। राज्य शासन को आदेश दिया जाए कि वह उसे दस्तावेज उपलब्ध कराए।
चर्चित हनीट्रैप मामले में चार अलग-अलग याचिकाएं मप्र हाईकोर्ट में चल रही हैं। गत 16 दिसंबर को जिला कोर्ट में इस मामले में छह आरोपितों के खिलाफ चालान पेश हो चुका है। इसके बाद से ही मीडिया में चालान के अंश प्रकाशित और प्रसारित हो रहे हैं। मामले के फरियादी और इंदौर नगर निगम के निलंबित इंजीनियर हरभजन सिंह ने हाईकोर्ट में इन याचिकाओं में अंतरिम आवेदन देकर गुहार लगाई है कि हनी ट्रैप की खबरों के प्रकाशन पर रोक लगाई जाए।
रोक लगाने जैसे हालात नहीं
मीडिया कवरेज पर रोक को लेकर बहस में शासन की तरफ से महाधिवक्ता शशांक शेखर और अतिरिक्त महाधिवक्ता रवींद्रसिंह छाबड़ा ने तर्क रखा कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के मुताबिक सिर्फ विशेष परिस्थिति में ही मीडिया कवरेज पर रोक लगाई जा सकती है। जिला कोर्ट में चालान पेश हो चुका है। एक बार चालान पेश होने के बाद वह सार्वजनिक दस्तावेज बन जाता है। उसके प्रकाशन पर रोक नहीं लगाई जा सकती। हरभजन की तरफ से सीनियर एडवोकेट अविनाश सिरपुरकर ने तर्क रखा कि प्रकाशन से हरभजन की प्रतिष्ठा को नुकसान हो रहा है। कोर्ट ने बहस सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया।
दस्तावेज नहीं मिलेंगे तो जांच कैसे होगी
आयकर सोमवार को आयकर की ओर से एडवोकेट निधि बोहरा के माध्यम से दायर याचिका पर भी सुनवाई हुई। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (सीबीडीटी) की ओर से पेश आवेदन में उन्होंने कहा कि उसे हनीट्रैप मामले में हुए पैसों के लेन-देन से जुड़े दस्तावेज उपलब्ध करवाए जाएं ताकि जांच आगे बढ़ सके। शासन की ओर से कहा गया कि चूंकि मामला अभी हाईकोर्ट में लंबित है, इसलिए दस्तावेज नहीं दे सकते। इस पर जस्टिस एससी शर्मा और जस्टिस शैलेंद्र शुक्ला ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आदेश दिया कि सरकार 10 दिन में लेन-देन से जुड़े दस्तावेज आयकर विभाग को उपलब्ध करवाए।