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अजीत को विधानमंडल में घेरेगा विपक्ष

राकांपा नेता और महाराष्ट्र सरकार में दूसरी बार उपमुख्यमंत्री बने अजीत पवार को विपक्ष बक्शने के मूड में दिखाई नहीं दे रहा है। विधानमंडल के सोमवार से शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र में विपक्ष ने उन्हें सिंचाई घोटाले को लेकर घेरने की रणनीति बनाई है। अजीत पवार ने शुक्रवार सुबह ही उप मुख्यमं

By Edited By: Published: Fri, 07 Dec 2012 12:29 PM (IST)Updated: Fri, 07 Dec 2012 01:02 PM (IST)
अजीत को विधानमंडल में घेरेगा विपक्ष

मुंबई, [ओमप्रकाश तिवारी]। राकांपा नेता और महाराष्ट्र सरकार में दूसरी बार उपमुख्यमंत्री बने अजीत पवार को विपक्ष बक्शने के मूड में दिखाई नहीं दे रहा है। विधानमंडल के सोमवार से शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र में विपक्ष ने उन्हें सिंचाई घोटाले को लेकर घेरने की रणनीति बनाई है। अजीत पवार ने शुक्रवार सुबह ही उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है।

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सिंचाई घोटाले में खुद पर लगे आरोपों के बाद अजीत पवार ने 25 सितंबर को इस्तीफा दिया था। 72 दिन बाद ही उन्हें पुन: इस पद पर आ जाने को विपक्षी दल भाजपा व शिवसेना हजम नहीं कर पा रहे हैं। शिवसेना उनकी वापसी को जनता की आंखों में धूल झोंकने की कार्रवाई मान रही है, तो भाजपा इसे अजीत पवार की बेशर्मी। महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना के नेता सुभाष देसाई ने स्पष्ट कर दिया है कि अब उनकी पार्टी सदन में शिवसेना स्टाइल में अजीत पवार का विरोध करेगी। देसाई मानते हैं कि सिंचाई घोटाले में आरोपी बनने के बाद पहले इस्तीफा, फिर श्वेतपत्र एक नाटक था। यह एक फर्जी परीक्षा थी, जिसमें पर्चा बनानेवाला, परीक्षा देनेवाला और कॉपी जांचनेवाला एक ही व्यक्ति था।

विधान परिषद में विपक्ष के नेता विनोद तावड़े कहते हैं कि अजीत पवार के पुन: शपथ लेने से यह साबित हो गया कि वह सत्ता के बिना रह नहीं सकते। तावड़े कहते हैं कि सिंचाई घोटाले पर श्वेतपत्र लाने का आश्वासन चूंकि मुख्यमंत्री ने दिया था, इसलिए इस खानापूरी के लिए उन्हें भी जवाब देना होगा। हम सदन में जनता की ओर से उनसे जवाब मांगेंगे। गौरतलब है कि अजीत पवार को अब सोमवार से शुरू हो रहे विधानमंडल के सत्र में स्वयं विपक्ष के हमलों का जवाब तो देना ही होगा, साथ ही उनपर उच्च न्यायालय की तलवार भी लटक रही है। उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ में सिंचाई घोटाले की सीबीआई से जांच करवाने के लिए एक जनहित याचिका दायर की गई है। यदि न्यायालय ने यह आदेश दे दिए तो अजीत पवार को पुन: इससे बड़ी किरकिरी का सामना करना पड़ सकता है।

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