आरक्षण पर वैद्य के विवादित बोल पर विपक्षी दल भड़के
उत्तरप्रदेश समेत पांच राज्यों के चुनाव अभियान के बीच हाथ आए इस मौके को लपकते हुए विपक्ष ने तत्काल संघ और भाजपा को आरक्षण का विरोधी करार दिया।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आरक्षण की व्यवस्था खत्म करने के आरएएएस प्रवक्ता मनमोहन वैद्य के बयान ने चुनावी मौसम में विपक्षी दलों को संघ-भाजपा के खिलाफ हमले का बड़ा हथियार दे दिया है। उत्तरप्रदेश समेत पांच राज्यों के चुनाव अभियान के बीच हाथ आए इस मौके को लपकते हुए विपक्ष ने तत्काल संघ और भाजपा को आरक्षण का विरोधी करार दिया। कांग्रेस ने तो वैद्य के बयान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सफाई के साथ इस पर माफी की मांग भी कर डाली। वहीं राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने बिहार की तर्ज पर वैद्य के बयान को लेकर उत्तरप्रदेश में संघ और भाजपा के खिलाफ प्रचार करने की ताल ठोकी।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि आरएसएस प्रवक्ता मनमोहन वैद्य का आरक्षण को खत्म करने का बयान संघ और भाजपा की दलित व पिछड़े विरोधी मानसिकता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि वैद्य ने बिल्कुल वही बातें कही है जो बिहार चुनाव के समय संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कही थी। भाजपा के वरिष्ठ नेता पूर्व केन्द्रीय मंत्री सीपी ठाकुर ने भी आरक्षण के खिलाफ बयान दिया था। इससे साफ है कि संघ और भाजपा की न केवल मानसिकता आरक्षण के खिलाफ है बल्कि वे दलितों और पिछड़ों को पंडित नेहरू और सरदार पटेल की ओर से सुनिश्चित किए गए अधिकार को छीनना चाहती है। सुरजेवाला ने कहा कि इसलिए हम वैद्य के बयान पर पीएम मोदी से स्पष्टीकरण ही नहीं बल्कि माफी की भी मांग करते हैं।
बिहार के चुनाव में मोहन भागवत के आरक्षण पर दिए गए विवादित बयान को राजनीतिक तूफान में तब्दील करने वाले राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने भी बिना देरी किए फिर से वैसा ही दांव चला। लालू ने संघ के संस्थापक गुरु गोलवलकर की पुस्तक का हवाला देते हुए संघ-भाजपा के शुरू से आरक्षण के खिलाफ होने का आरोप लगाया। साथ ही लालू ने कहा कि बिहार में जिस तरह भागवत के बयान का खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ा उसे उत्तरप्रदेश में दुहराने के लिए वह वैद्य के बयान की हकीकत से लोगों को रुबरू कराएंगे।
जदयू महासचिव केसी त्यागी ने भी संघ प्रवक्ता के आरक्षण पर दिए बयान को आरएसएस के एजेंडे का हिस्सा होने की बात कही। लालू की तरह त्यागी ने भी कहा कि आरक्षण की विरोधी इन शक्तियों के खिलाफ बिहार की तरह सभी समान विचाराधारा वाली ताकतों को इकठ्ठा होकर लड़ना चाहिए।