रेल बजट के विलय को लेकर विपक्ष ने साधा सरकार पर निशाना
सरकार को बुलेट ट्रेन के साथ-साथ मौजूदा 65,000 किलोमीटर के रेल ढांचे को सुधारने पर भी विचार करना चाहिए।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अलग रेल बजट पेश करने की 92 साल पुरानी परंपरा खत्म करने के निर्णय को लेकर विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा है। विपक्ष का कहना है कि पूर्ववर्ती व्यवस्था परिणामोन्मुखी थी।
लोक सभा में रेल मंत्रालय की अनुदान मांगों पर चर्चा शुरु करते हुए कांग्रेस नेता के एच मुनियप्पा ने कहा कि अलग रेल बजट पेश होने से इस क्षेत्र का अधिक विकास होता। यूपीए सरकार में रेल राज्य मंत्री रह चुके मुनियप्पा ने हालांकि सरकार के माल ढुलाई क्षमता बढ़ाने और बुलेट ट्रेन परियोजना के संबंध में प्रयासों की सराहना की।
उन्होंने कहा कि सरकार को बुलेट ट्रेन के साथ-साथ मौजूदा 65,000 किलोमीटर के रेल ढांचे को सुधारने पर भी विचार करना चाहिए। इससे यात्री सेवाओं को सुधारने में मदद मिलेगी। रेल के लिए वित्तीय संसाधनों की जरूरत को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि बुलेट ट्रेन के लिए जहां एक लाख करोड़ रुपये की जरूरत होगी वहीं मौजूदा रेल नेटवर्क के ढांचे के रखरखाव और जीर्णोद्धार के लिए तीन लाख करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी।
चर्चा में भाग लेते हुए तृणमूल कांग्रेस के सदस्य और पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने कहा कि रेलवे को जीडीपी की वृद्धि दर तेज करने का कारक बनाना चाहिए। उन्होंने रेल को वित्तीय रूप से मजबूत बनाने पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि फिलहाल रेलवे को 100 रुपये कमाने के लिए 110 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। उन्होंने रेलवे के लिए रोडमैप की मांग की। उन्होंने माल-ढुलाई, यात्री संख्या और राजस्व के संबंध में वित्त वर्ष 2017-18 के सरकार के अनुमानों की आलोचना भी की। त्रिवेदी ने रेलवे की फ्लैक्सी फेयर स्कीम की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि भारत की पहचान हिमालय, गंगा और रेल से है।
रेल बजट के आम बजट में विलय संबंधी सरकार के फैसले का बचाव करते हुए भाजपा के योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह विलय रेल और यात्रियों के हित में है। उन्होंने कहा कि विगत में रेल बजट राजनीतिक एजेंडा पूरा करने का एक टूल बनकर रह गया है। उन्होंने कहा कि विभिन्न रेल बजट के माध्यम से 676 परियोजनाएं घोषित की गयीं थीं जिसमें से मात्र 369 परियोजनाएं ही पूरी हुई। राजग सरकार की ढाई साल की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए भाजपा सदस्य ने कहा कि यात्री सुविधा, संरक्षा और सुरक्षा में सुधार आया है।
माकपा के एम बी राजेश ने कहा कि रेल बजट के आम बजट में विलय से रेलवे की स्वायत्ता खत्म हो गई है। अन्नाद्रमुक नेता पी वेणुगोपाल ने दक्षिण रेलवे के लिए अधिक धनराशि आवंटित करने की मांग की।
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