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सुरक्षाबलों की गोली से बचने के लिए आतंकियों के पास है एक और मौका, 'ऑपरेशन ऑल इन' पर काम कर रही सेना

कश्मीर घाटी में आतंकी की राह पर भटके युवाओं को मुख्य धारा में लाने के लिए 'ऑपरेशन ऑल इन' चलाया जा रहा है।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Thu, 07 Jun 2018 12:46 PM (IST)Updated: Thu, 07 Jun 2018 02:32 PM (IST)
सुरक्षाबलों की गोली से बचने के लिए आतंकियों के पास है एक और मौका, 'ऑपरेशन ऑल इन' पर काम कर रही सेना
सुरक्षाबलों की गोली से बचने के लिए आतंकियों के पास है एक और मौका, 'ऑपरेशन ऑल इन' पर काम कर रही सेना

नई दिल्ली (जेएनएन)। जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की धरपकड़ के लिए चलाए गए 'ऑपरेशन ऑल आउट' के सफल होने के बाद 'ऑपरेशन ऑल इन' पर फोकस किया जा रहा है। घाटी में सरकार द्वारा चलाए जा रहे इस ऑपरेशन का मकसद आतंक की राह पर भटके युवाओं को दोबारा मुख्य धारा में लाना है। इसके तहत सेना उन गुमराह युवाओं को शांति का मौका देना चाहती है, जिन्होंने अपना घर-परिवार छोड़कर हाथों में बंदूकें थाम ली हैं।

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अपने ठिकानों से निकले स्थानीय आतंकी

इस बीच जानकारी मिल रही है कि कश्मीर घाटी में एकतरफा युद्धविराम के दौरान बड़ी संख्या में स्थानीय आतंकी बिना हथियारों के अपने ठिकानों से बाहर निकलकर परिवार से मिलने पहुंचे हैं। वहीं, सुरक्षाबल लगातार ऐसे युवाओं के माता-पिता के संपर्क में है और उन्हें अपने भटके बच्चों को हिंसा की राह छोड़ने के लिए मनाने को कह रही है। ताकि वे मुठभेड़ में मारे जाने की बजाय सामान्य जीवन जीये।

भटके युवाओं (आतंकी) को लौटने के लिए मनाए माता-पिता 

शीर्ष सरकारी सूत्रों ने कहा कि ये पहल जम्मू-कश्मीर में सरकार के 'ऑपरेशन ऑल इन' का हिस्सा है। सूत्रों ने बताया, 'गांवों और कस्बों में अपने परिवारों से मिलने के लिए बड़ी संख्या में आतंकी वापस लौट रहे हैं। हम उनके माता-पिता को उनको वापस लौटने और सामान्य जीवन जीने के लिए मनाने को कह रहे हैं। अगर वे अपने कॉलेजों में जाना चाहते हैं या जो कर रहे थे वह करना चाहते हैं तो वे इस अवसर का लाभ उठा सकते हैं।' सूत्रों ने कहा कि उनके (आतंकियों) माता-पिता, परिवार के सदस्यों और गांव के प्रमुखों सहित गांवों के बुजुर्गों को भी यह संदेश दिया गया है कि उन्हें भटके युवाओं को जंगलों में लौटने के लिए हतोत्साहित (रोकना) करना चाहिए। अन्यथा आगे चलकर वे सेना की गोलियों से मारे जाएंगे या फिर अपनी जिंदगी बर्बाद कर लेंगे।

ईद के आसपास बढ़ सकती है परिवार से मिलने वाले आतंकियों की संख्या

इस बीच कहा जा रहा है कि रमजान के आखिर में अपने परिवारों से मिलने के लिए घर लौटने वाले आतंकियों की संख्या ईद के आसपास काफी बढ़ सकती है।

इस वर्ष 60 से अधिक आतंकियों को मार गिराया

बता दें कि 2017 में सेना ने कश्मीर घाटी में 200 से अधिक आतंकियों को मार गिराया था, जबकि इस वर्ष एलओसी और हिंटरलैंड में 60 से अधिक आतंकियों को खत्म करने में कामयाब रही। हाल ही के दिनों में कश्मीर में आतंकिया का सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट करना ट्रेंड बन गया, लेकिन ये आतंकियों के लिए घातक साबित हुआ और पहचाने जाने के चंद दिनों बाद ही उनको भी मार गिराया गया।

सेना ने एकतरफा युद्धविराम का किया सम्मान

सूत्रों ने बताया कि आतंकियों के अपने परिवारों से मिलने की जानकारी के बावजूद सेना ने युद्धविराम का सम्मान करते हुए उनके खिलाफ कोई सक्रिया ऑपरेशन नहीं चलाया। जहां एक तरफ भटके हुए युवाओं के मुख्यधारा में लौटने की उम्मीद जताई जा रही है, तो वहीं दूसरी तरफ कश्मीर में शांति पहल को बाधित करने के लिए पाकिस्तान समर्थित आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा ने आतंकियों को हमलों के लिए सक्रिया कर दिया है।

आतंकियों के निशाने पर सुरक्षाबल

सीमापार से घुसपैठ कर घाटी में घुसे आतंकियों के निशाने पर सुरक्षा बल हैं। हाल ही में आतंकियों ने सेना की 30 राष्ट्रीय राइफल्स के शिविर पर अंडरबैरल ग्रेनेड लांचर के जरिये हथगोले फेंके। हालांकि उनकी ये कोशिश नाकामयाब रही। इस बीच सेना ने नियंत्रण रेखा में अपने लॉन्च पैड पर आतंकवादियों की उपस्थिति के बारे में भी जानकारी प्राप्त की है और आतंकवादी संगठनों द्वारा घुसपैठ या किसी भी सनसनीखेज कार्रवाई को रोकने के लिए सुरक्षा उपायों को बढ़ा दिया है।


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