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भारत में 5 करोड़ लोग हैं इस बीमारी से पीड़ित, दुनियाभर में 32 करोड़ लोग बीमार

डिप्रेशन यानी अवसाद किस कदर लोगों की जिंदगी पर हावी हो रहा है, इसका अंदाजा तेलुगु न्यूज एंकर राधिका रेड्डी की आत्महत्या से लगाया जा सकता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 04 Apr 2018 12:15 PM (IST)Updated: Wed, 04 Apr 2018 12:39 PM (IST)
भारत में 5 करोड़ लोग हैं इस बीमारी से पीड़ित, दुनियाभर में 32 करोड़ लोग बीमार
भारत में 5 करोड़ लोग हैं इस बीमारी से पीड़ित, दुनियाभर में 32 करोड़ लोग बीमार

नई दिल्ली [ जेएनएन ]। डिप्रेशन यानी अवसाद किस कदर लोगों की जिंदगी पर हावी हो रहा है, इसका अंदाजा तेलुगु न्यूज एंकर राधिका रेड्डी की आत्महत्या से लगाया जा सकता है। अपने सुसाइड नोट में राधिका ने खुद को डिप्रेशन का शिकार बताया था। दुनिया में 32 करोड़ अवसादग्रस्त लोगों में से पांच करोड़ से अधिक भारत में रहते हैं।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन डिप्रेशन को बीमारी मानता है, जिसे अन्य बीमारियों की तरह ही देखा जाना चाहिए। इसके बारे में बात की जानी चाहिए और इसका इलाज किया जाना चाहिए। हर साल 7 अप्रैल को मनाए जाने वाले विश्व स्वास्थ्य दिवस की पिछले वर्ष की थीम भी डिप्रेशन पर आधारित थी।

देश में स्थिति गंभीर

राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वे 2015-16 के मुताबिक देश के 15 करोड़ से अधिक लोग विभिन्न मानसिक जटिलताओं से जूझ रहे हैं। उन्हें चिकित्सा और देखभाल की जरूरत है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक अवसाद और व्यग्रता से जुड़ी बीमारियों के मामले में दक्षिण पूर्वी एशिया में भारत शीर्ष पर है।

बीमारी है अवसाद

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक यह ऐसी बीमारी है जिसमें व्यक्ति लगातार उदास रहता है और उन गतिविधियों में रुचि खो देता है जिसमें उसे आमतौर पर आनंद मिलता था। अवसादग्रस्त लोग चिंतित, अशांत, सुस्त व आलसी रहते हैं। वे किसी चीज में ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते, असमय सोते-जागते हैं, खुद को नुकसान पहुंचाने यहां तक कि आत्महत्या के बारे में भी सोचते हैं।

अपनों से करें बात

परिवार के सदस्यों या दोस्तों से बात करके अपनी परेशानी साझा करने से अवसाद से लड़ने में मदद मिल सकती है। थेरेपी भी ली जा सकती है। एंटीडिप्रेसेंट दवाओं का प्रयोग गंभीर अवसाद की स्थिति में ही किया जाना चाहिए।

समाज में बदलाव जरूरी

अवसाद के बारे में जानकारी की कमी के चलते अधिकतर लोग इसे असामान्य मान लेते हैं। यही कारण है कि अवसादग्रस्त लोग असामान्य कहलाए जाने के डर से किसी को अपनी परेशानी नहीं बता पाते। गरीब व मध्यम आय वाले देशों में मानसिक बीमारियों से ग्रस्त 76 से 85 फीसद लोगों को इलाज नहीं मिल पाता। अवसाद व अन्य मानसिक विकारों के प्रति समाज को अपना नजरिया बदलने की जरूरत है।

कारणों की हो पहचान

अवसाद से बाहर आने के लिए सबसे पहले अवसाद के कारणों को जानना जरूरी है। पारिवारिक लड़ाई-झगड़े, आर्थिक संकट, किसी प्रिय व्यक्ति से अलगाव, मानसिक या शारीरिक उत्पीड़न, काम का अत्यधिक बोझ जैसे कई कारण अवसाद को जन्म दे सकते हैं। 


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