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ओडिशा और तमिलनाडु समेत सिर्फ चार राज्यों ने नियुक्त किया लोकायुक्त के न्यायिक एवं गैर-न्यायिक सदस्य

अन्ना आंदोलन के दस वर्ष और लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम 2013 को लागू हुए सात वर्ष हो गए। लेकिन देश में भ्रष्टाचार निरोधी परिदृश्य में कुछ खास बदलाव नहीं हुआ। 28 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में से आठ में लोकायुक्त का पद रिक्त है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Wed, 09 Dec 2020 04:54 PM (IST)Updated: Wed, 09 Dec 2020 04:54 PM (IST)
भ्रष्टाचार निरोधी अंतरराष्ट्रीय दिवस की पूर्व संध्या पर जारी की गई रिपोर्ट

नई दिल्ली, प्रेट्र। केवल चार राज्यों बिहार, मणिपुर, ओडिशा और तमिलनाडु ने लोकायुक्त के न्यायिक एवं गैर-न्यायिक सदस्यों को नियुक्त किया है। यह बात ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल इंडिया की रिपोर्ट में सामने आई है। 2011 में चलाए गए इंडिया अगेंस्ट करप्शन अभियान के बाद 2013 में लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम बना था। इसके सात साल बाद भ्रष्टाचार निरोधी अंतरराष्ट्रीय दिवस की पूर्व संध्या पर जारी की गई रिपोर्ट में देश में लोकायुक्त (राज्यस्तरीय) के कार्य का विश्लेषण किया गया।

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ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल इंडिया की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि महाराष्ट्र में 1971 में लोकायुक्त की नियुक्ति की गई थी जिसे लगभग 50 वर्ष हो गए।

सात वर्ष हो गए लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम 2013 को लागू हुए 

अन्ना आंदोलन के दस वर्ष और लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम 2013 को लागू हुए सात वर्ष हो गए। लेकिन देश में भ्रष्टाचार निरोधी परिदृश्य में कुछ खास बदलाव नहीं हुआ। 28 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में से आठ में लोकायुक्त का पद रिक्त है। इनमें असम, गोवा, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तराखंड और पुडुचेरी शामिल हैं। केवल चार राज्यों- बिहार, मणिपुर, ओडिशा और तमिलनाडु ने ही लोकायुक्त के न्यायिक एवं गैर-न्यायिक सदस्यों की नियुक्ति की है।


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