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सिर्फ 10.1 फीसद बच्चे स्मार्टफोन का पढ़ाई के लिए करते हैं उपयोग, एनसीपीसीआर के अध्‍ययन में किया गया दावा

एनसीपीसीआर की तरफ से कराए गए एक अध्ययन में 59.2 फीसद बच्चे अपने स्मार्टफोन पर मैसेजिंग एप का उपयोग करते हैं जबकि सिर्फ 10.1 प्रतिशत ही स्मार्टफोन या इंटरनेट सुविधा वाले उपकरणों का इस्तेमाल आनलाइन पढ़ाई या सीखने के लिए करते हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 25 Jul 2021 07:51 PM (IST)Updated: Sun, 25 Jul 2021 07:51 PM (IST)
सिर्फ 10.1 फीसद बच्चे स्मार्टफोन का पढ़ाई के लिए करते हैं उपयोग, एनसीपीसीआर के अध्‍ययन में किया गया दावा
59.2 फीसद बच्चे अपने स्मार्टफोन पर मैसेजिंग एप का उपयोग करते हैं,

नई दिल्ली, एएनआइ। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की तरफ से कराए गए एक अध्ययन में चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। अध्ययन में कहा गया है कि 59.2 फीसद बच्चे अपने स्मार्टफोन पर मैसेजिंग एप का उपयोग करते हैं, जबकि सिर्फ 10.1 प्रतिशत ही स्मार्टफोन या इंटरनेट सुविधा वाले उपकरणों का इस्तेमाल आनलाइन पढ़ाई या सीखने के लिए करते हैं।

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59.2 फीसद बच्चों और किशोरों के पास है अपना स्मार्टफोन

मोबाइल फोन व इंटरनेट सेवा वाली दूसरी डिवाइस के इस्तेमाल का बच्चों पर पड़ने वाले प्रभाव के संबंध में किए गए अध्ययन में पता चला कि सभी आयुवर्ग (8-18 साल) के 30.2 फीसद बच्चों व किशोरों के पास अपना स्मार्टफोन है। 13 साल से ज्यादा उम्र के किशोरों में स्मार्टफोन के इस्तेमाल की प्रवृत्ति काफी तेज हुई है।

लैपटाप या डेस्कटाप दिलाने के बजाय स्मार्टफोन उपलब्ध कराना ज्यादा बेहतर

अध्ययन के अनुसार, 'इससे पता चलता है कि 12-13 साल से ज्यादा उम्र के किशोरों के अभिभावक उन्हें लैपटाप या डेस्कटाप दिलाने के बजाय स्मार्टफोन उपलब्ध कराना ज्यादा बेहतर समझते हैं।' देशभर में हुए इस अध्ययन में पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण व पूर्वोत्तर क्षेत्र की 15 लोकेशन को चुना गया। हर क्षेत्र में करीब एक हजार लोगों की प्रतिक्रियाएं ली गईं, जिनमें स्कूली छात्र, अभिभावक व शिक्षक शामिल रहे।

शिक्षकों को स्मार्ट फोन का अनुभव नहीं

अध्ययन में पता चला कि 72.70 फीसद शिक्षकों को स्मार्टफोन के इस्तेमाल का अनुभव नहीं था। 54.1 फीसद ने कहा कि कक्षा में स्मार्टफोन के इस्तेमाल से परेशानी पैदा होती है। एम्स के विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि अभिभावकों को बच्चों को अन्य जीवन कौशल के प्रति प्रेरित करना चाहिए, ताकि वे स्मार्टफोन या ऐसे दूसरे उपकरणों के साथ कम समय बिताएं।


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