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49 से 58 रुपये प्रति किलो की दर से राज्यों को बेची जाएगी प्याज, केंद्र के प्रस्ताव को राज्यों ने किया इनकार

यातित प्याज बंदरगाहों तक पहुंचने लगी और संबंधित राज्यों में कीमतों का बढ़ना रुका अथवा कीमतें काबू में आयी तो राज्य पीछे हटने लगे हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Tue, 07 Jan 2020 08:26 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jan 2020 08:36 PM (IST)
49 से 58 रुपये प्रति किलो की दर से राज्यों को बेची जाएगी प्याज, केंद्र के प्रस्ताव को राज्यों ने किया इनकार
49 से 58 रुपये प्रति किलो की दर से राज्यों को बेची जाएगी प्याज, केंद्र के प्रस्ताव को राज्यों ने किया इनकार

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्याज की किल्लत से बढ़ी कीमतों को थामने के प्रयासों को राज्यों ने अब ठेंगा दिखाना शुरु कर दिया है। केंद्र ने राज्यों के समक्ष 49 से 58 रुपये प्रति किलो की दर से आयातित प्याज बेचने की पेशकश की है। लेकिन कई राज्यों ने प्याज की अपनी पुरानी मांग को वापस ले लिया। इससे आयातित प्याज अब केंद्रीय एजेंसियों के लिए मुश्किलें सबब बन सकती हैं। दरअसल, घरेलू आपूर्ति बढ़ने से प्याज की महंगाई थम गई हैं, जिससे संबंधित राज्यों ने आयात हुई महंगी प्याज लेने से इनकार करना शुरु कर दिया है।

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कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की उच्च स्तरीय समिति की बैठक इस मुद्दे पर लंबी चर्चा हुई। विदेश से आई महंगी प्याज लेने से मना करने वाले राज्यों में महाराष्ट्र, असम, हरियाणा, कर्नाटक और उड़ीसा है। इनमें सबसे ज्यादा प्याज 10 हजार टन असम ने मांगी थी, जबकि 3480 टन प्याज की मांग महाराष्ट्र, 2500 टन हरियाणा और 100 टन उड़ीसा ने की थी।

मुंबई बंदरगाह पहुंची प्याज

सचिवों की समिति की बैठक से लौटे केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय के सचिव अविनाश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि अब तक मुंबई बंदरगाह पर 12000 टन प्याज पहुंच चुकी है। बैठक में लिये गये फैसले के बारे में श्रीवास्तव ने बताया कि मुंबई बंदरगाह पहुंची प्याज 49 से 58 रुपये प्रति किलो की दर से राज्यों को बेची जाएगी। सूत्रों का कहना है कि जिन राज्यों में घरेलू प्याज की आमद होने लगी है, वहां कीमतें घटने लगी है। इसके मद्देनजर उन राज्यों को आयातित प्याज महंगी लगने लगी है।

कीमतें काबू में आयी तो राज्य हटने लगे पीछे

केंद्रीय उपभोक्ता मामले व खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने बताया 'जब नवंबर में प्याज के मूल्य 120 से 150 रुपये प्रति किलो की दर पर बिकने लगे थे, उस समय राज्यों की ओर से 33,139 टन प्याज की मांग आई थी। अब आयातित प्याज बंदरगाहों तक पहुंचने लगी और संबंधित राज्यों में कीमतों का बढ़ना रुका अथवा कीमतें काबू में आयी तो राज्य पीछे हटने लगे हैं। केंद्र सरकार 'नो प्राफिट, नो लॉस' के आधार पर प्याज बेचने का फैसला किया है।' उन्होंने कहा कि बंदरगाह से प्याज को उपभोक्ता मंडी तक लाने का खर्च केंद्र सरकार वहन करने को तैयार है।

प्याज के स्वाद पर भी उठे सवाल

पत्रकारों से सवालों के जवाब में पासवान ने कहा कि आयातित प्याज के स्वाद को लेकर सरकार कुछ नहीं कर सकती। जहां जैसी प्याज मिली वहां से लाने की कोशिश की गई है। सरकारी एजेंसी एमएमटीसी ने अब तक 41 हजार टन से अधिक का आयात अनुबंध कर लिया है। एक अन्य सवाल के जवाब में सचिव श्रीवास्तव ने बताया कि घरेलू प्याज की आपूर्ति में फरवरी के बाद ही पर्याप्त सुधार की संभावना है।

मासिक अनुमानित उत्पादन का आंकड़ा देते हुए उन्होंने बताया कि जनवरी में पिछले साल के 13.80 लाख टन के मुकाबले 9.25 लाख टन होगा। जबकि फरवरी में उत्पादन 16.76 लाख टन होगा, जो पिछले साल फरवरी में 25.62 लाख टन है। मार्च में प्याज का उत्पादन 29.26 लाख टन पहुंच जाएगा, जो पिछले साल के इसी महीने में 25.8 लाख टन था। श्रीवास्तव ने बताया कि भारत में प्याज की दैनिक खपत 67 हजार टन है।


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