Move to Jagran APP

सातवें आसमान पर प्याज के दाम, हरकत में आई सरकार

प्याज के जमाखोर सक्रिय हो गये हैं, यही वजह है कि देश के विभिन्न हिस्सों में प्याज के मूल्यों में भारी अंतर है।

By Manish NegiEdited By: Published: Wed, 29 Nov 2017 07:26 PM (IST)Updated: Wed, 29 Nov 2017 07:26 PM (IST)
सातवें आसमान पर प्याज के दाम, हरकत में आई सरकार
सातवें आसमान पर प्याज के दाम, हरकत में आई सरकार

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। आपूर्ति घटने से घरेलू बाजारों में प्याज का रंग सुर्ख होने लगा है। कीमतें आसमान छूने लगी हैं। प्याज के जमाखोर सक्रिय हो गये हैं, यही वजह है कि देश के विभिन्न हिस्सों में प्याज के मूल्यों में भारी अंतर है। महंगाई पर काबू पाने के लिए सरकार हरकत में आ गई है। केंद्रीय आपूर्ति मामले और खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने प्याज की पैदावार का ब्यौरा देते हुए सरकार की तैयारियों की जानकारी दी।

loksabha election banner

पासवान ने प्याज आपूर्ति बढ़ाने से संबंधित मंत्रालयों के आला अफसरों के साथ लंबी बैठक की। इस दौरान प्याज की खेती और उसकी पैदावार की समीक्षा की गई। साथ ही सरकारी एजेंसियों को प्याज की मांग को पूरा करने के लिए तैयारियों में जुट जाने के निर्देश दिये गये हैं। आयातित प्याज किसी भी हाल में महीने भर से पहले भारतीय बंदरगाहों पर पहुंच पाएगी। इसलिए फौरी तौर पर उत्पादक मंडियों में सरकारी एजेंसियां प्याज की खरीद करने उतरेंगी।

पासवान ने एक सवाल के जवाब में यहां तक कह दिया 'कीमतों को रोकना उनके हाथ में नहीं है।' यानी उपभोक्ताओं को लंबे समय तक महंगी प्याज से ही काम चलाना होगा। हालांकि बाद में पासवान ने कहा कि सरकारी एजेंसियां महाराष्ट्र की मंडियों से 32 रुपये प्रति किलो के हिसाब से प्याज की खरीद कर दिल्ली में आपूर्ति करेंगी। प्याज का निर्यात अधिकतम मूल्य 850 डॉलर प्रति टन कर दिया गया है, जिससे निर्यात लगभग रुक गया है।

पासवान ने बताया कि वर्ष 2017-18 में प्याज की खेती का रकबा 1.90 लाख हेक्टेयर रह गया, जबकि पिछले साल 2016-17 में यह रकबा 2.65 लाख हेक्टेयर था। जबकि वर्ष 2017 में प्याज की पैदावार 217 लाख टन रही, जो पिछले साल यानी 2016 में 209 टन थी। प्याज की खेती वाला राज्य कर्नाटक में पिछले साल के एक लाख हेक्टेयर के मुकाबले चालू साल में मात्र 79 हजार हेक्टेयर में प्याज की खेती हुई है। इसी तरह महाराष्ट्र में 53 हजार हेक्टेयर की जगह केवल 36 हजार हेक्टेयर में खेती हुई है।

रकबा घटने के चलते जमाखोर सक्रिय हो गये और कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। पासवान ने बताया कि उत्पादक मंडियों से प्याज खरीदकर बाजार में आपूर्ति करने वाली एजेंसियों को किराया सब्सिडी दी जाएगी। मूल्य स्थिरीकरण फंड से प्याज की खरीद कर उपभोक्ताओं को सस्ती प्याज मुहैया कराने का विकल्प भी राज्यों को दिया गया है।

यह भी पढ़ें: रुला रही हैं प्याज की कीमतें, दिल्ली में 80 रुपए किलो तक पहुंचे दाम


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.