शिप्रा नदी में धमाकों की जांच के लिए आई ओएनजीसी टीम को नहीं मिला गैस उत्सर्जन
ओएनजीसी के दल में संस्थान के देहरादून के उप महाप्रबंधक अमित कुमार सक्सेना और वरिष्ठ भूविज्ञानी अजय एम. लाल शामिल हैं। विशेषज्ञों ने घटनास्थल पर रासायनिक प्रभाव और भूवैज्ञानिक बिंदुओं पर जांच की। त्रिवेणी घाट क्षेत्र के 100 मीटर के दायरे से मिट्टी पानी और गाद के आठ नमूने लिए।
उज्जैन, जेएनएन। मध्य प्रदेश के उज्जैन की शिप्रा नदी के त्रिवेणी घाट क्षेत्र में हो रहे धमाकों की जांच के लिए एक विशेष टीम ने सैंपल लिए। रविवार को तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ONGC) देहरादून का दल घटनास्थल पर पहुंचा। यहां नदी के पानी, किनारे की मिट्टी और गाद के नमूने लिए। विशेषज्ञों ने कहा कि नदी से गैस उत्सर्जन होना नहीं पाया गया है। धमाके क्यों हो रहे हैं, इसको लेकर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। सैंपलों की जांच 15 दिन में पूरी हो जाएगी। इसके बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकता है।
गौरतलब है कि इस क्षेत्र में 28 फरवरी को पहली बार धमाका हुआ था। ग्रामीणों ने स्थानीय प्रशासन को इसकी सूचना दी थी। अधिकारियों ने मौके पर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (PHE) के कर्मचारियों को तैनात कर दिया था। पांच मार्च की शाम को एक बार फिर धमाके हुए। ग्रामीणों ने प्रमाण के तौर पर इसका वीडियो भी बना लिया था।
इसके बाद कलेक्टर आशीष सिंह ने भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) और ओएनजीसी को जांच के लिए ई-मेल किया था। आठ मार्च को भोपाल से जीएसआइ का दल यहां पहुंचा था। उसने अपनी प्राथमिक जांच रिपोर्ट में संभावना जताई थी कि नदी की चट्टानों से मीथेन/इथेन गैस के उत्सर्जन या घाट क्षेत्र में पूजन सामग्री यानी फूल-हार से बन रही प्राकृतिक गैस के कारण धमाके हो रहे हैं। हालांकि, जीएसआइ ने भी अभी अपनी अंतिम रिपोर्ट नहीं सौंपी है।
100 मीटर के दायरे से लिए आठ सैंपल
ओएनजीसी के दल में संस्थान के देहरादून के उप महाप्रबंधक (केमिस्ट्री) अमित कुमार सक्सेना और वरिष्ठ भूविज्ञानी अजय एम. लाल शामिल हैं। विशेषज्ञों ने घटनास्थल पर रासायनिक प्रभाव और भूवैज्ञानिक बिंदुओं पर जांच की। त्रिवेणी घाट क्षेत्र के 100 मीटर के दायरे से मिट्टी, पानी और गाद के आठ नमूने लिए। इसकी जांच देहरादून में ओएनजीसी की लैब में होगी।
अमित कुमार सक्सेना ने बताया कि नदी से किसी तरह का गैस उत्सर्जन नहीं मिला। गैस होती तो बुलबुले दिखते, मगर ऐसा कुछ नहीं दिखा। जांच पूरी होने के बाद किसी निष्कर्ष पर पहुंचेंगे।
प्रदूषण को लेकर भी की चर्चा
टीम के सदस्यों ने नदी के प्रदूषण को लेकर भी स्थानीय अधिकारियों से चर्चा की। उन्होंने बताया कि पानी प्रदूषित है। स्थानीय अधिकारियों ने इंदौर की ओर से आ रही खान (कान्ह) नदी का गंदा पानी शिप्रा नदी में मिलने की जानकारी दी। यह भी बताया कि इसे रोकने के लिए विभिन्न योजनाओं पर काम जारी है। शिप्रा शुद्धिकरण के लिए सीवरेज प्रोजेक्ट पर भी काम चल रहा है।