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International Women's Day 2019 के मौके पर इन शायरियों को लगाए वॉट्सएप स्टेटस, होगा गर्व

International Womens Day 2019 अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं के प्रति सम्मान प्रशंसा और प्यार का प्रतीक हैं। सबसे पहला महिला दिवस न्यूयॉर्क में 1909 में मनाया गया।

By Nitin AroraEdited By: Published: Fri, 08 Mar 2019 10:00 AM (IST)Updated: Fri, 08 Mar 2019 10:16 AM (IST)
International Women's Day 2019 के मौके पर इन शायरियों को लगाए वॉट्सएप स्टेटस, होगा गर्व
International Women's Day 2019 के मौके पर इन शायरियों को लगाए वॉट्सएप स्टेटस, होगा गर्व

 नई दिल्ली, जेएनएन। International Women's Day 2019, 8 मार्च यानी आज के दिन पूरी दुनिया महिला दिवस मना रही हैं। विश्व के इस आधुनिक युग में महिलाएं उतनी ही महत्वपूर्ण है जितना की पुरुष जरूरी हैं। 8 मार्च को मनाए जाने वाला अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्यार का प्रतीक हैं। कहा जाता है कि इस दिन को महिलाओं के आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों के उपलक्ष्य में भी मनाया जाता हैं। सबसे पहला महिला दिवस न्यूयॉर्क में 1909 में मनाया गया।

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देश और दुनिया में कोई भी खास दिन क्यों ना हो हर व्यक्ति इसे अलग तरंग से मनाने में विश्वास रखता हैं। इसलिए इस मौके पर महिलायों पर बनी कुछ खास शायरी मौजूद हैं। जिसको आप महिला दिवस के मौके पर शेयर कर सकते है और महिलायों को शुभकामनाएं देते हुए वॉट्सएप स्टेटस भी लगा सकते हैं। 

महिला दिवस वॉट्सएप स्टेटस
एक मुद्दत से मिरी माँ नहीं सोई 'ताबिश'
मैं ने इक बार कहा था मुझे डर लगता है
(अब्बास ताबिश)

अभी रौशन हुआ जाता है रस्ता
वो देखो एक औरत आ रही है
(शकील जमाली)

औरत हूँ मगर सूरत-ए-कोहसार खड़ी हूँ 
इक सच के तहफ़्फ़ुज़ के लिए सब से लड़ी हूँ
(फ़रहत ज़ाहिद)

कल अपने-आप को देखा था माँ की आँखों में
ये आईना हमें बूढ़ा नहीं बताता है 
(मुनव्वर राना)

चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है
मैं ने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है
(मुनव्वर राना)

तू आग में ऐ औरत ज़िंदा भी जली बरसों
साँचे में हर इक ग़म के चुप-चाप ढली बरसों
(हबीब जालिब)

बताऊँ क्या तुझे ऐ हम-नशीं किस से मोहब्बत है 
मैं जिस दुनिया में रहता हूँ वो इस दुनिया की औरत है
(असरार-उल-हक़ मजाज़)

बता दें कि न्यूयॉर्क शहर(1909) में मनाए गए पहले महिला दिवस को को एक समाजवादी राजनीतिक कार्यक्रम के रूप में आयोजित किया गया था। 1917 में सोवियत संघ ने इस दिन को एक राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया, और यह आसपास के अन्य देशों में फैल गया। इसे अब कई पूर्वी देशों में भी मनाया जाता हैं।


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