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यूजीसी की तर्ज पर स्कूलों के लिए भी बन सकता है राष्ट्रीय आयोग, शिक्षाविदों के सुझाव पर सरकार गंभीर

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) तर्ज पर देश भर के स्कूलों की गुणवत्ता और स्टैंडर्ड को एक जैसा बनाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक आयोग बनाने का सुझाव है। यह सिर्फ स्कूलों की गुणवत्ता और उसका देश भर के समान स्टैंडर्ड बना रहे इसे लेकर काम करेगा।

By Arun kumar SinghEdited By: Published: Mon, 28 Dec 2020 09:56 PM (IST)Updated: Mon, 28 Dec 2020 09:58 PM (IST)
यूजीसी की तर्ज पर स्कूलों के लिए भी बन सकता है राष्ट्रीय आयोग, शिक्षाविदों के सुझाव पर सरकार गंभीर
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) तर्ज पर देश भर के स्कूलों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक आयोग

 अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। विश्वविद्यालयों और कालेजों की तरह देश भर के सभी स्कूलों की पढ़ाई का स्तर और उनकी गुणवत्ता भी एक जैसी हो, तो कैसा होगा। फिलहाल यह सवाल अभी तो दूर की कौड़ी लाने जैसा है, लेकिन नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को तेजी से लागू करने की मुहिम से जुड़े शिक्षाविदों और अब सरकार का जो रुख है, उनमें यह राह आसान होते दिखाई दे रही है। हालांकि इसके लिए नीति में अलग-अलग कई कदमों को उठाए जाने का प्रस्ताव है, लेकिन इसके अमल के दौरान एक ऐसा सुझाव भी आया है,तो नीति में नहीं है, लेकिन सभी को पसंद आ रहा है। इसमें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) तर्ज पर देश भर के स्कूलों की गुणवत्ता और स्टैंडर्ड को एक जैसा बनाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक आयोग बनाने का सुझाव है। 

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देश के स्कूलों में एक जैसे मानक और गुणवत्ता के लिए करेगा काम

खास बात यह है कि नीति के अमल की शुरुआती चर्चा में इस सुझाव को गंभीरता से नहीं लिया गया, लेकिन जैसे-जैसे शिक्षाविद इसे लेकर एकजुट हो रहे हैं, उसमें अब सरकार के स्तर पर भी इसे लेकर विमर्श शुरू हो गया है। सूत्रों की मानें तो इसे लेकर राज्यों की भी राय ली जा रही है। साथ ही इसे लेकर जल्द कोई फैसला ले सकती है। हालांकि इस पूरी मुहिम के साथ खड़े शिक्षाविदों के मुताबिक इसके अमल में कोई दिक्कत नहीं है। वैसे भी इस आयोग के गठन का उद्देश्य राज्य के विषयों और अधिकारों में कोई हस्तक्षेप करने का भी नहीं है।

यह सिर्फ स्कूलों की गुणवत्ता और उसका देश भर के समान स्टैंडर्ड बना रहे, इसे लेकर काम करेगा। स्कूलों के संचालन का पूरा अधिकार पहले की तरह राज्यों के पास ही होगा। यह ठीक यूजीसी की तरह ही काम करेगा। इसके दायरे में फिलहाल देश भर के सभी विश्वविद्यालय और कालेज आते हैं। इनमें राज्यों के विश्वविद्यालय और कॉलेज भी होते है। इसका संचालन राज्यों की ओर से किया जाता है, लेकिन उसके स्टैंडर्ड यानी शिक्षकों की योग्यता, इंफ्रास्ट्रक्चर, प्रशासन कैसा होगा, इसके नियम यूजीसी तय करता है। 

इसी तरह से पढ़ाई का स्तर भी वह निर्धारित करता है। यानी किस स्तर पर क्या पढ़ाया जाना है। परीक्षाओं के मूल्यांकन का फार्मूला कैसा होगा आदि। शिक्षाविदों की मानें तो पीएम मोदी की भारत केंद्रित शिक्षा की मुहिम को भी आगे बढ़ाने में इसके जरिये मदद मिलेगी। वहीं नीति के अमल से जुड़ी टीम को भी यह सुझाव इसलिए पसंद आ रहा है, क्योंकि अभी देश में पूरी स्कूली शिक्षा सीबीएसई सहित अलग-अलग राज्यों के शिक्षा बोर्डों में बंटी है। इसके लिए केंद्र सरकार पैसा तो दे रही है, लेकिन वह उसके उद्देश्यों को पूरा नहीं कर पा रही है। वजह इन्हें लेकर राष्ट्रीय स्तर पर कोई एक स्टैंडर्ड नियामक नहीं होना है। ऐसे में राज्य अपने-अपने तरीके से इसके स्टैंडर्ड तय करते हैं, जो बाकी राज्यों के कोई मेल भी नहीं खाते है। 

केंद्रीय विश्वविद्यालय केरल के शिक्षा विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर अमृत जी कुमार का कहना है कि स्कूल शिक्षा आयोग एक अच्छा प्रस्ताव है। इससे ना सिर्फ स्कूलों की गुणवत्ता बेहतर होगी, बल्कि देश भर में सभी को एक समान स्कूली शिक्षा भी मिल सकेगी। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय दिल्ली में शिक्षा विभाग के प्रोफेसर सीबी शर्मा की मानें तो आज स्कूली शिक्षा में हम इसलिए भी पीछे है, क्योंकि कोई एक नियामक संस्था नहीं थी। जो अब जरूरी है।


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