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    टाइगर प्रोजेक्ट के 50 साल पूरे होने पर जुटेंगे टाइगर रेंज में शामिल सभी देश, प्रधानमंत्री मोदी भी लेंगे हिस्सा

    By Jagran NewsEdited By: Piyush Kumar
    Updated: Fri, 24 Mar 2023 10:09 PM (IST)

    कांजीरंग में आयोजित एलीफैंड प्रोजेक्ट से जुड़े कार्यक्रम में भी सभी हितधारकों के साथ मिलकर हाथियों के बेहतर रखरखाव के मुद्दे पर मंथन होगा। देश में टाइगर प्रोजेक्ट की शुरूआत 1973 में हुई थी। जबकि एलीफैंड प्रोजेक्ट को वर्ष 1992 में लॉन्च हुआ था।

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    टाइगर प्रोजेक्ट के पचास साल और एलीफैंट प्रोजेक्ट के तीस साल पूरे होने पर मैसूर में होगा भव्य आयोजन।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अप्रैल में टाइगर प्रोजेक्ट के पचास साल और एलीफैंट प्रोजेक्ट के तीस साल पूरे होने के मौके पर वन एवं पर्यावरण मंत्रालय दोनों ही प्रोजेक्ट की सफलता को बड़े भव्य तरीके से मनाने की तैयारी में है। इस दौरान टाइगर प्रोजेक्ट से जुड़ा जश्न नौ से 11 अप्रैल के बीच मैसूर में होगा, जिसमें प्रधानमंत्री भी शामिल होंगे। साथ ही टाइगर रेंज में शामिल सभी 13 देशों के वन एवं पर्यावरण मंत्री और प्रतिनिधि भी रहेंगे।

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    जबकि एलीफेंड प्रोजेक्ट को लेकर आयोजन काजीरंगा (असम) में सात और आठ अप्रैल को होगा, जिसमें राष्ट्रपति हिस्सा लेंगी। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने शुक्रवार को पत्रकारों से चर्चा में यह जानकारी दी।

    टाइगर प्रोजेक्ट को लेकर तैयार किया जाएगा रोडमैप

    साथ ही यह भी बताया कि इस मौके पर प्रधानमंत्री टाइगर की गणना रिपोर्ट भी जारी करेंगे। इस दौरान दुनियाभर के देशों को टाइगर प्रोजेक्ट की सफल पहलों से भी अवगत कराया जाएगा। साथ ही इस दिशा में और क्या किया जा सकता है इस दिशा में एक रोड़ मैप तैयार किया जाएगा।

    वहीं कांजीरंग में आयोजित एलीफैंड प्रोजेक्ट से जुड़े कार्यक्रम में भी सभी हितधारकों के साथ मिलकर हाथियों के बेहतर रखरखाव के मुद्दे पर मंथन होगा। देश में टाइगर प्रोजेक्ट की शुरूआत 1973 में हुई थी। जबकि एलीफैंड प्रोजेक्ट को वर्ष 1992 में लॉन्च हुआ था।

    कंबोडिया को भारत देगा टाइगर

    टाइगर संरक्षण की मुहिम को देश के साथ अब टाइगर रेंज में शामिल दूसरे देशों में विस्तार देने की तैयारी है। इस दिशा में जो बड़ा कदम उठाया जा रहा है, उसमें भारत की ओर से कंबोडिया को कुछ टाइगर दिए जा सकते है। इसके साथ ही उसे टाइगर संरक्षण में भी मदद दी जाएगी।

    वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक इस संबंध में दोनों देशों के बीच हाल ही में एक समझौता भी हुआ है। जिसके बाद भारतीय विशेषज्ञों के दल ने कंबोडिया का दौरा किया और टाइगर रखने से जुड़ी उनकी तैयारियों को देखा है।