42 भारतीय बंधकों की रिहाई पड़ी खटाई में, ब्रिटेन और ईरान के आपसी विवाद में भारतीय पिस रहे हैं
ब्रिटेन और ईरान की सरकारों से भारत के मैत्रीपूर्ण संबंध हैं लेकिन उनके आपसी विवाद में भारतीय पिस रहे हैं और भारत सरकार कुछ खास नहीं कर पा रही है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। ब्रिटेन और ईरान के विवाद में ईरानी तेल टैंकर के साथ बंधक 24 भारतीयों की रिहाई खटाई में पड़ गई है। ब्रिटेन ने मामले से पल्ला झाड़ते हुए उसे जिब्राल्टर सरकार पर डाल दिया है। कहा है कि भारतीयों की रिहाई के बारे में जिब्राल्टर सरकार कानून के अनुसार निर्णय लेगी। जबकि जिब्राल्टर ब्रिटेन का उपनिवेश है और ईरानी टैंकर को ब्रिटिश नौसेना ने पकड़ा था।
बीती चार जुलाई को ब्रिटिश नौसेना ने जिब्राल्टर पुलिस के सहयोग से सीरिया जा रहे ईरानी तेल टैंकर ग्रेस वन को पकड़ा था। यह टैंकर यूरोपीय यूनियन के प्रतिबंधों का उल्लंघन करते हुए सीरिया को तेल की आपूर्ति करने के लिए जा रहा था। इसी तेल टैंकर के चालक दल में 24 भारतीय शामिल हैं। ये भारतीय पूरी तरह से स्वस्थ और सुरक्षित हैं लेकिन जिब्राल्टर से कब इनकी रिहाई होगी, इसको लेकर असमंजस है।
ब्रिटिश नौसेना की कार्रवाई के दो सप्ताह बाद ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड ने ब्रिटिश मालवाही जहाज स्टेना इंपेरो को होर्मुज स्ट्रेट में पकड़ लिया। इस ब्रिटिश जहाज के चालक दल में भी 18 भारतीय शामिल हैं और इस समय ये ईरानी हिरासत में हैं। ये बंधक भी स्वस्थ और सुरक्षित हैं।
अब मामला ब्रिटेन और ईरान के बीच फंस गया है। नई ब्रिटिश सरकार ने अपना जहाज छुड़वाने के लिए अदला-बदली की किसी संभावना से इन्कार कर दिया है। ऐसे में दोनों जहाजों और उसके साथ बंधक बनाए गए कर्मियों की मुक्ति पर अनिश्चितता के बादल छा गए हैं।
दोनों देशों की सरकारों से भारत के मैत्रीपूर्ण संबंध हैं, लेकिन उनके आपसी विवाद में भारतीय पिस रहे हैं और भारत सरकार कुछ खास नहीं कर पा रही है। बुधवार को नई दिल्ली में ब्रिटिश उच्चायुक्त डोमिनिक एस्क्वैथ ने भी अदला-बदली की किसी संभावना से इन्कार कर दिया। कहा, ब्रिटिश नौसेना ने यूरोपीय यूनियन के प्रतिबंधों का उल्लंघन करने पर ईरानी टैंकर को पकड़ा है और वह अपने फैसले पर कायम है।
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