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Legal Service Day: जजों के खिलाफ इंटरनेट मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणियां सही नहीं : रिजिजू

Legal Service Day प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा है कि कानूनी पेशा मुनाफा कमाने के लिए नहीं बल्कि समाज सेवा के लिए है। प्रधान न्यायाधीश ने बताया कि 1995 में नौ अक्टूबर को ही कानूनी सहायता (लीगल सर्विस) की अवधारणा को संस्थागत रूप दिया गया था।

By Monika MinalEdited By: Published: Wed, 10 Nov 2021 03:08 AM (IST)Updated: Wed, 10 Nov 2021 03:08 AM (IST)
Legal Service Day: जजों के खिलाफ इंटरनेट मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणियां सही नहीं : रिजिजू
जजों के खिलाफ इंटरनेट मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणियां सही नहीं : रिजिजू

जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा।  केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने जजों के खिलाफ इंटरनेट मीडिया पर की जा रही आपत्तिजनक टिप्पणियों पर चिंता व्यक्त की है। रिजिजू ने कहा कि लोग न्यायाधीश के जीवन की चुनौतियों व मुश्किलों को समझते नहीं है। बिना सोचे समझे उनको लेकर कुछ भी बयान देते हैं, इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट करते हैं। यह ठीक नहीं। यह नहीं समझते हैं कि उन्हें कितनी जीवन में कितनी मेहनत करनी पड़ती है। जज सामान्य लोगों की सार्वजनिक जीवन में खुल नहीं सकते हैं, उनकी अपनी सीमाएं हैं। यह भी कहा कि एक आम आदमी के लिए न्याय पाना आसान नहीं होता है। कुछ को अपनी संपत्ति तक बेचनी पड़ती है और उन्हें कोर्ट में एक तारीख तक नहीं मिल पाती है। किरण रिजिजू मंगलवार को ग्रेटर नोएडा स्थित शारदा विश्वविद्यालय में लीगल सर्विस डे पर आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे थे। इस मौके पर देश के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने भी छात्रों को संबोधित किया।

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रिजिजू ने कहा-

किसी ग्रामीण को कोर्ट जाने को कहा जाए तो वह डरता है। उन्हें यह नहीं पता होता है कि हाई कोर्ट कैसा दिखता है। उन्हें हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली का जरा भी भान नहीं होता है। आगे कहा-आज निचली अदालतों में चार करोड़ से ज्यादा मुकदमे लंबित हैं। यही वजह है कि सरकार अधीनस्थ न्यायपालिका के लिए आधारभूत संरचना को मजबूत करने के लिए कई कदम उठा रही है।

कानूनी पेशा समाज सेवा के लिए है : एनवी रमना

छात्रों को संबोधित करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा है कि कानूनी पेशा मुनाफा कमाने के लिए नहीं, बल्कि समाज सेवा के लिए है। प्रधान न्यायाधीश ने बताया कि 1995 में नौ अक्टूबर को ही कानूनी सहायता (लीगल सर्विस) की अवधारणा को संस्थागत रूप दिया गया था। छात्रों के कहा कि स्वामी विवेकानंद ने कहा था, पीछे मत देखो, आगे देखो। अनंत उत्साह, अनंत साहस और अनंत धैर्य से ही बड़े लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि वह केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू के कानूनी सेवा प्राधिकरणों की प्रगति के प्रति व्यक्तिगत झुकाव को देखकर बहुत खुश हैं। भारत सरकार ने समय पर जजों की नियुक्ति की है। इससे लोगों के लिए न्याय सुलभ हुआ है।


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