एनआरआइ वोटरों की तादाद में दोगुनी वृद्धि
कानून राज्य मंत्री पीपी चौधरी ने एक सवाल के जवाब में संसद को बताया कि वर्तमान में 24,348 लोग प्रवासी मतदाता के रूप में पंजीकृत हुए हैं।
नई दिल्ली, प्रेट्र : विदेश में रहने के बाद भी भारतीय समुदाय के लोगों की दिलचस्पी देश की राजनीति में कम नहीं हो रही है। दूर देश में बसे होने के बावजूद उनमें प्रवासी वोटर बनने की प्रवृति बढ़ रही है। सरकार के हालिया आंकड़े बताते हैं कि पिछले तीन वर्षो में एनआरआइ वोटरों की तादाद में दोगुनी बढ़ोतरी हुई है। 2014 में कुल 11,846 प्रवासी मतदाता थे, जबकि
2017 में यह संख्या बढ़कर 24,348 हो गई। हालांकि विदेश में रहने वाले भारतीयों की कुल तादाद के हिसाब से यह संख्या बेहद कम है। एक अनुमान के अनुसार, एनआरआइ की आबादी एक करोड़ से अधिक है।
एनआरआइ के वोटिंग का मुद्दा फिर चर्चा में है। सरकार सर्विस वोटर की तर्ज पर उन्हें भी मताधिकार देने के लिए एक बिल लोकसभा में पेश करने जा रही है। उक्त विधेयक के मसौदे में कहा गया है कि स्वदेश लौटकर मतदान करने के अनिवार्य प्रावधान के चलते प्रवासी वोटरों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। अभी नियम है कि एनआरआइ (ऐसे भारतीय जो विदेश में रहते या वहां पर कार्यरत हैं, लेकिन अपनी नागरिकता नहीं छोड़े हैं।) उसी निर्वाचन क्षेत्र में मतदान कर सकते हैं, जहां वे बतौर वोटर पंजीकृत हैं। इसका मतलब यह हुआ कि एनआरआइ पहले प्रवासी भारतीय वोटर के रूप में अपना पंजीकरण कराएं और मतदान के दिन देश लौटकर वोट करें।
मई, 2012 के एक आकड़े के अनुसार, दुनिया के विभिन्न देशों में कुल 1,003,7761 एनआरआइ रहते हैं। इसके बावजूद 2014 में केवल 11,846 एनआरआइ ही प्रवासी वोटर के रूप में पंजीकृत थे। इस वर्ष इनकी संख्या में दोगुनी वृद्धि देखने को मिली है। कानून राज्य मंत्री पीपी चौधरी ने एक सवाल के जवाब में संसद को बताया कि वर्तमान में 24,348 लोग प्रवासी मतदाता के रूप में पंजीकृत हुए हैं।