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आयुष्मान योजना का लाभ उठाने वालों की संख्या 50 लाख के पार, इन बीमारियों पर सर्वाधिक खर्च

एक साल के भीतर ही आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) का लाभ उठाने वालों की संख्या 50 लाख को पार कर गई है। आइये जानते हैं किन बीमारियों पर सर्वाधिक खर्च हुआ है

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Tue, 15 Oct 2019 08:03 AM (IST)Updated: Tue, 15 Oct 2019 08:56 AM (IST)
आयुष्मान योजना का लाभ उठाने वालों की संख्या 50 लाख के पार, इन बीमारियों पर सर्वाधिक खर्च

नई दिल्ली, आइएएनएस। केवल एक साल के अंदर आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) का लाभ उठाने वालों की संख्या 50 लाख को पार कर गई है। इस योजना के तहत पूरे भारत में हर मिनट में नौ लोग अस्पताल में भर्ती हुए। मोदी सरकार की प्रमुख स्वास्थ्य योजना के तहत 32 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लोगों के इलाज में 7,901 करोड़ रुपये खर्च हुए।

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इन बीमारियों पर सर्वाधिक खर्च 

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) के आंकड़ों के मुताबिक 60 प्रतिशत से अधिक राशि तृतीय श्रेणी के इलाज पर खर्च की गई। तृतीय श्रेणी में जिन बीमारियों का इलाज हुआ, वह कार्डियोलॉजी, आर्थोपैडिक, रेडिएशन, ओंकोलॉजी, कार्डियो-थोरैसिक, वैस्कुलर सर्जरी और यूरोलॉजी से संबंधित थीं।

इन राज्‍यों ने किया अच्‍छा प्रदर्शन 

योजना के तहत गुजरात, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, केरल और आंध्र प्रदेश ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है। स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा, आज तक पूरे भारत में 18,486 अस्पतालों को योजना के तहत सूचीबद्ध किया गया है। इनमें से 53 फीसद अस्पताल निजी और मल्टी स्पेशिलियटी वाले हैं। 50,000 से अधिक पोर्टेबिलिटी के भी मामले सामने आए हैं, जिसमें प्रवासी और यात्रा करने वाले पात्र लोगों ने अपने गृह राज्यों के बाहर अपना इलाज कराया है। 

घर के नजदीक ही मिलेगा इलाज 

आयुष्मान भारत के लाभार्थियों को जल्‍द ही एक और लाभ मिलने वाला है। सूत्रों की मानें तो आयुष्मान भारत का विस्तार किया जा रहा है। नई व्‍यवस्‍था के तहत जल्द ही इसके मरीजों को घर के पास ही पांच लाख रुपए वार्षिक तक का अत्याधुनिक इलाज मिल जाएगा।

1000 नए अस्पताल खोलेगी सरकार 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके लिए खुद निर्देश जारी किए हैं। पीएम मोदी ने छोटे और मझले शहरों में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस निजी अस्पतालों को बढ़ावा देने की बात कही है। इसके लिए उन्‍होंने नीति आयोग से पॉलिसी बनाने के निर्देश जारी किए हैं। आधिकारि‍क सूत्र बताते हैं कि सरकार की कोशिश छोटे और मझले शहरों में 100 बिस्तरों वाले 1000 नए अस्पताल खोलने की है।


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