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अब बायोलाजिकल ई टीके की नहीं पड़ेगी जरूरत, टीकाकरण अभियान में कोविशील्ड और कोवैक्सीन का ही होगा इस्तेमाल

बायोलाजिकल ई कंपनी के टीके के अभी दूसरे और तीसरे चरण का परीक्षण चल रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कंपनी द्वारा नवंबर के अंत तक परीक्षण संबंधी पूरा डाटा भारत के दवा महानियंत्रक (डीसीजीआइ) के पास जमा करने की उम्मीद है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Fri, 15 Oct 2021 07:36 PM (IST)Updated: Fri, 15 Oct 2021 07:48 PM (IST)
सरकार ने 30 करोड़ डोज के लिए 1,500 करोड़ रुपये दिए थे एडवांस

नीलू रंजन, नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस के खिलाफ चल रहे टीकाकरण अभियान में बायोलाजिकल ई के टीके की जरूरत नहीं पड़ेगी। सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन टीके से ही टीकाकरण का बड़ा काम पूरा हो जाएगा। 30 करोड़ डोज के लिए कंपनी को दिए गए 1,500 करोड़ रुपये एडवांस की वसूली के लिए सरकार बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए सार्वभौमिक टीकाकरण अभियान में लगने वाले टीके से करने पर विचार कर रही है।

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दरअसल, बायोलाजिकल ई कंपनी के टीके के अभी दूसरे और तीसरे चरण का परीक्षण चल रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कंपनी द्वारा नवंबर के अंत तक परीक्षण संबंधी पूरा डाटा भारत के दवा महानियंत्रक (डीसीजीआइ) के पास जमा करने की उम्मीद है। उसके बाद विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) उस पर विचार करेगी। एसईसी की सिफारिश के आधार पर ही डीसीजीआइ वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत दे सकता है। इस प्रक्रिया में लगभग एक महीने का समय लग सकता है। जबकि सरकार ने 31 दिसंबर तक 18 साल से अधिक के सभी लोगों के टीकाकरण का लक्ष्य रखा है। जाहिर है उसके बाद बायोलाजिकल ई के टीके की कोई जरूरत ही नहीं रहेगी।

मजेदार बात यह है कि मई में टीके की भारी कमी और विपक्षी दलों द्वारा इसे मुद्दा बनाए जाने को देखते हुए सरकार ने बायोलाजिकल ई को 30 करोड़ डोज का आर्डर दिया था। कंपनी ने वादा किया था कि वह इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत मिलने के पहले ही इतने डोज बनाकर रख लेगी और इजाजत मिलते ही सरकार को सप्लाई कर देगी। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। अधिकारी ने कहा कि बायोलाजिकल ई बच्चों और गर्भवती महिलाओं को सार्वभौमिक टीकाकरण में शामिल कई टीके बनाती है। सरकार दिए गए एडवांस के एवज में उससे ऐसे टीके खरीदने पर विचार कर रही है।

स्पुतनिक वी का इस्तेमाल भी नहीं होगा

देश में टीकाकरण अभियान में रूसी वैक्सीन स्पुतनिक वी के इस्तेमाल की संभावना भी नहीं लग रही है। हालांकि, इसके इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत मिल चुकी है। रूस ने सात कंपनियों के साथ सालाना इसकी 85 करोड़ डोज के उत्पादन का समझौता भी किया है। इसके बावजूद दोनों अलग-अलग डोज वाली इस वैक्सीन की दूसरी डोज के लिए कच्चे माल की कमी पड़ गई और इसे टीकाकरण अभियान में शामिल नहीं किया जा सका। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हालात यह हो गई कि जिन कंपनियों ने स्पुतनिक वी की पहली डोज तैयार कर ली थी, उन्हें लगभग 40 लाख डोज रूस को भेजने की इजाजत दी गई, ताकि वो बर्बाद नहीं हों।

73 फीसद वयस्क आबादी को लग चुकी पहली डोज

अधिकारी ने बताया कि देश में 18 साल से अधिक उम्र के लोगों की कुल आबादी लगभग 94 करोड़ है। इनमें से 73 प्रतिशत आबादी को पहली डोज लग चुकी है और इसे कोविशील्ड और कोवैक्सीन से ही पूरा किया गया है। वैसे तो सरकार की कोशिश सभी वयस्क जनसंख्या को टीके की दोनों डोज लगाने की है, लेकिन माना जा रहा है कि 80 फीसद के बाद लोगों को ढूंढकर टीका लगाना राज्यों के लिए मुश्किल काम होगा। पहली डोज लेने वाले लोग तय समय पर दूसरी डोज के लिए आते रहेंगे। इससे 150 करोड़ डोज तक आते-आते बड़े पैमाने पर टीकाकरण का अभियान पूरा हो जाएगा और बचे हुए लोग धीरे-धीरे टीकाकरण के लिए आते रहेंगे।


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