टिकट पर छूट का जिक्र कर क्या 'अहसान' जता रहा रेलवे?
इस निर्देश के बाद अटकलें हैं कि रेल टिकटों से भी सबसिडी हटेगी। हो सकता है कि सरकार अपील करे कि सबसिडी स्वेच्छा से छोड़ें।
नई दिल्ली। घरेलू गैस सिलेंडर से स्वेच्छा से सबसिडी छोड़ने की अपील के कामयाब होने के बाद अब केंद्र सरकार ने रेल मंत्रालय को निर्देश दिया है कि वह लोगों को बताए कि उन्हें कितनी सबसिडी दी जा रही है। रेलवे ने ऐसी जानकारी टिकट पर देने की तैयारी कर ली है।
इस निर्देश के बाद अटकलें हैं कि रेल टिकटों से भी सबसिडी हटेगी। हो सकता है कि सरकार अपील करे कि सबसिडी स्वेच्छा से छोड़ें। जो समर्थ हैं वे अपने टिकट का पूरा किराया दें, यह सबसिडी जरूरतमंदों को दी जाएगी।
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अभी कितनी सबसिडी भाड़े से हो रही कमाई से रेलवे अभी करीब 34 हजार करोड़ रुपए की सबसिडी देता है जिससे यात्रियों को सस्ता टिकट मुहैया कराई जाती है।
रेलवे का कहना है कि जनरल टिकट पर प्रति किलोमीटर 22 पैसे से 44 पैसे का किराया वसूलती है, जबकि बस में यह किराया 89 पैसे से 1.44 रुपए प्रति किलोमीटर है। यानी कुल लागत का केवल 57 फीसदी ही लोगों से लिया जाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेलवे को इसके लिए तीन महीने के अंदर योजना बनाने के लिए कहा है। टिकट पर बताएंगे रेलवे बोर्ड सदस्य मोहम्मद जमशेद ने नई दिल्ली में कहा कि उपनगरीय ट्रेनों में अभी केवल 37 फीसदी किराया लिया जा रहा है।
अब काउंटर से बिकने वाले टिकटों पर बताया जाएगा कि वास्तव में टिकट कितनी राशि का है और कितने में मिला है। रेलवे के छोटी दूरी और उपनगरीय ट्रेनों के यात्री संख्या कुल यात्रियों का 52 फीसदी हैं लेकिन रेलवे को उनसे केवल 6-7 फीसदी आय होती है।
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यह लिखा जा रहा टिकट पर
रेलवे ने ये लिखना शुरू कर दिया है 'IR RECOVERS ONLY 57% OF THE COAST OF TRAVEL ON AN AVERAGE। लखनऊ मंडल में आरक्षित टिकटों पर ऐसी पंक्ति लिखी जाने लगी है।
ऐसे समझें टिकट पर सबसिडी का गणित
अगर आप दिल्ली से मुंबई जाने के लिए राजधानी ट्रेन से यात्रा करते हैं तो फर्स्ट एसी का मौजूदा किराया करीब 4755 रुपए है। यानी यह महज 57 फीसदी हिस्सा ही है, जबकि रेलवे आपकी इस यात्रा पर करीब 7175 रुपए खर्च करता है। इस तरह एक टिकट पर आपको 3085 रुपए की सबसिडी मिल रही है।