राजस्थान पुलिस अपने थानों का करेगी स्टिंग, सच जानने को 7 थानों में किया गया स्टिंग
जिला पुलिस अधीक्षकों से कहा गया है कि वह अपने क्षेत्राधिकार के पुलिस थानों में महीने में कम से कम एक बार स्टिंग ऑपरेशन करें।
नईदुनिया, जयपुर। राजस्थान में पुलिस अब अपने ही थानों में स्टिंग ऑपरेशन करेगी। राजस्थान पुलिस मुख्यालय की ओर से भी जिला पुलिस अधीक्षकों से कहा गया है कि वह अपने क्षेत्राधिकार के पुलिस थानों में महीने में कम से कम एक बार स्टिंग ऑपरेशन करें। यह निर्देश पुलिस मुख्यालय की ओर से पांच जनवरी को सात थानों में किए गए स्टिंग ऑपरेशन में सामने आई स्थिति के बाद दिए गए हैं।
राजस्थान पुलिस मुख्यालय की सतर्कता शाखा की ओर से इस बारे में आदेश जारी किए गए हैं। इसमें कहा गया है कि थानों पर आने वाले पीडि़तों के साथ उचित व्यवहार व एफआइआर दर्ज करने, दी गई रिपोर्ट पर निर्धारित प्रावधानों के अनुसार समय पर कार्रवाई के मामलों में शिकायतें आ रही हैं। इसे देखते हुए सतर्कता शाखा द्वारा पांच जनवरी को किए गए स्टिंग ऑपरेशन की तर्ज पर सभी पुलिस अधीक्षकों को अपने क्षेत्राधिकार के पुलिस थानों में महीने में कम से कम एक बार स्टिंग ऑपरेशन करना है।
दरअसल, राजस्थान के पुलिस महानिदेशक कपिल गर्ग के निर्देश पर मुख्यालय की सतर्कता शाखा ने पांच जनवरी को राजस्थान के सात थानों में एक साथ स्टिंग ऑपरेशन किया था। इसमें सतर्कता दल के लोगों को ही पीडि़त बनाकर वाहन चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए भेजा गया था। इस कार्रवाई का उद्देश्य यह जानना था कि थानों में लोगों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है। रिपोर्ट दर्ज कराने को लेकर किस तरह की समस्याएं सामने आती हैं। इसका सात थानों में परीक्षण किया गया। पांच थाने ऐसे थे, जहां वाहन चोरी की एफआइआर दर्ज करने में टालमटोल की गई। एक जगह तो पीडि़त बनकर गए सतर्कता दल के साथ थानाधिकारी ने बहुत ही गलत व्यवहार किया। इस थाना अधिकारी को पद से हटा भी दिया गया है।
परिवादियों के साथ उचित व्यवहार के निर्देश
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सतर्कता) गोविंद गुप्ता ने बताया कि अब सभी रेंज महानिरीक्षक, पुलिस आयुक्त तथा जिला पुलिस अधीक्षकों व पुलिस उपायुक्तों को अपने-अपने क्षेत्राधिकार में महीने में कम से कम एक बार आवश्यक रूप से स्टिंग ऑपरेशन कराने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि संज्ञेय अपराध की सूचना प्राप्त होने के बाद उसकी रिपोर्ट दर्ज करना जरूरी है।
साथ ही आवश्यकता अनुसार चिकित्सकीय परीक्षण, नाकाबंदी, मौका निरीक्षण आदि कार्रवाई भी तुरंत करने के निर्देश दिए गए हैं। गुप्ता ने बताया कि वाहन चोरी की ई-एफआइआर दर्ज कराने की सुविधा के बारे में व्यापक प्रचार-प्रसार कराने के लिए भी कहा गया है। साथ ही पुलिस थानों पर आने वाले परिवादियों के साथ उचित व्यवहार के लिए भी निर्देश दिए गए हैं। थानों पर एफआइआर दर्ज नहीं करने, नाकाबंदी, गश्ती दल द्वारा वाहनों से अवैध वसूली जैसी शिकायतें आती रहती हैं। इन पर रोक के लिए ही ऐसे निर्देश जारी किए गए हैं।