व्यावसायिक शिक्षा से जुड़ेगा अब प्रत्येक छात्र, 2025 तक पचास फीसद का लक्ष्य
2025 तक पचास फीसद छात्रों को जोड़ने का लक्ष्य दिया गया है। मौजूदा समय में देश के कामकाजी लोगों में 19 से 24 आयु वर्ग के पांच फीसद से कम लोग व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। स्कूल, कालेजों और विश्वविद्यालयों से निकलने वाले छात्र अब डिग्री और डिप्लोमा के साथ हुनरमंद बनकर भी निकलेंगे। सरकार ने इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ाया है। हाल ही में सामने आई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे में भी व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है। साथ ही वर्ष 2025 तक पचास फीसद छात्रों को इससे जोड़ने का लक्ष्य दिया गया है। मौजूदा समय में देश के कामकाजी लोगों में (19 से 24 आयु वर्ग) पांच फीसद से कम लोग व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त हैं।
सरकार के साथ नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने की यह पहल उस समय की गई है, जब स्कूल-कालेजों से निकलने के बाद छात्रों को नौकरी के लिए भटकना पड़ता है। वजह इनके पास कोई व्यावसायिक हुनर का नहीं होना है।
यही वजह है कि शिक्षा में व्यावसायिक शिक्षा को अनिवार्य रूप से जोड़ने की पहल तेज की गई है। मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने मंत्रालय का जिम्मा संभालते ही अधिकारियों से व्यावसायिक शिक्षा पर पूरी ताकत लगाने के निर्देश दिए हैं।
व्यावसायिक शिक्षा को छठी कक्षा से पढ़ाने की सिफारिश
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे में व्यावसायिक शिक्षा में देश के पिछड़ेपन को लेकर चिंता जताई गई है। साथ ही कहा गया है कि कामकाजी दुनिया में हर किसी को काम देने के लिए शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा समय में अमेरिका के कामकाजी लोगों में (19 से 24 आयु वर्ग) 52 प्रतिशत लोग व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त हैं, जबकि जर्मनी में 75 प्रतिशत और कोरिया में 96 प्रतिशत लोग व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त हैं। प्रस्तावित नीति के मसौदे में व्यावसायिक शिक्षा को स्कूलों में छठी से पढ़ाने की सिफारिश की गई है। इसके अलावा प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा के बीच व्यावसायिक शिक्षा को एकीकृत करने का भी सुझाव दिया गया है।
व्यावसायिक शिक्षा से जोड़े 'लोक विद्या' भी
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे में ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचलित पारंपरिक हुनर को भी व्यावसायिक शिक्षा में शामिल करने की सिफारिश की गई है। सरकार ने ऐसे विशिष्ट महत्व वाले क्षेत्रों की पहचान कर छात्रों को उसमें प्रशिक्षित करने पर जोर दिया है। इससे जहां यह प्राचीन ज्ञान अगली पीढ़ी तक पहुंचेगा, साथ ही भारत की सामाजिक और सांस्कृतिक विरासत को सहेजने में मदद मिलेगी। इनमें महीन काम वाले वस्त्रों, कशीदाकारी, भव्य स्थापत्य, औषधीय ज्ञान कला, शिल्पकारी और जल संरक्षण जैसे विधाओं को शामिल करने का सुझाव दिया गया है।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप