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अब रात में भी जवानों को किया जा सकेगा एयर लिफ्ट

केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार के आने के बाद नक्सलियों से जंग के लिए संसाधनों के विकास पर भरपूर ध्यान दिया गया।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Fri, 05 Oct 2018 10:42 PM (IST)Updated: Fri, 05 Oct 2018 10:42 PM (IST)
अब रात में भी जवानों को किया जा सकेगा एयर लिफ्ट
अब रात में भी जवानों को किया जा सकेगा एयर लिफ्ट

अनिल मिश्रा, रायपुर। छत्तीसगढ़ में बस्तर के नक्सल प्रभावित इलाकों में दो दर्जन से अधिक नाइट लैंडिंग हेलीपैड बनकर तैयार हो चुके हैं। अब इन इलाकों में नक्सल ऑपरेशन के दौरान रात में भी जवानों को उतारा जा सकेगा। नक्सल घटना के दौरान घायल हुए जवानों को तुरंत एयरलिफ्ट कर अस्पताल ले जाने की सहूलियत होगी। इससे पहले कई बार अंदरूनी इलाकों में घायल हुए जवानों को बाहर निकालने में घंटों लग जाते थे। इस चक्कर में कई बार जवानों को जान भी गंवानी पड़ी है।

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संभाग के सातों जिलों में बने हेलीपैड
केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार के आने के बाद नक्सलियों से जंग के लिए संसाधनों के विकास पर भरपूर ध्यान दिया गया। गृह मंत्रालय के सुरक्षा सलाहकार के विजय कुमार ने बस्तर में नाइट लैंडिंग हेलीपैड का प्रस्ताव बनाने को कहा था। पुलिस हाउसिंग बोर्ड और लोक निर्माण विभाग ने इसके बाद ऐसे इलाकों में नाइट लैंडिंग की सुविधाएं विकसित करनी शुरू की जहां काम करना बेहद मुश्किल था। राज्य के स्पेशल डीजी नक्सल ऑपरेशन डीएम अवस्थी ने नईदुनिया से बताया कि साल भर में हमने प्रदेश के नक्सल इलाकों में करीब 30 ऐसे हेलीपैड बनाए हैं जहां रात में आसानी से हेलीकॉप्टर उतर सकते हैं। बस्तर संभाग के सातों जिलों में इस तरह के हेलीपैड हैं। कोंडागांव जिले के मर्दापाल, सुकमा के चिंतलनार और जगरगुंडा, बीजापुर के बासागुड़ा, नारायणपुर के ओरछा आदि ऐसे इलाके हैं जहां यह काम करना आसान नहीं था लेकिन फोर्स ने दिनरात मेहनत कर हेलीपैड अपग्रेड कर दिए।

तेज रोशनी की व्यवस्था
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में चुनावों के दौरान नक्सली गतिविधियां बढ़ जाती हैं। अब अंदरूनी इलाकों की दिनरात हेलीकाप्टर से निगरानी की जाएगी। नाइट लैंडिंग के लिए हर जगह कम से कम सौ गुणित सौ गज की हवाई पट्टी विकसित की गई है। यहां तेज प्रकाश का इंतजाम किया गया है। हवा से नीचे देखना आसान काम नहीं है। इसके लिए दृश्यता बेहतरीन होनी चाहिए। आसपास कोई पेड़ या भवन न हो। बिजली या दूसरे तारों को भी देखा जा सके इतनी रोशनी की जरूरत होती है। इन सुविधाओं के विकास के बाद अब नक्सल इलाकों में दिन रात जवानों को हवाई मदद मिलने लगी है।


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