समय से पहले नहीं होंगे चुनाव
चुनावी नतीजों की निराशा और उस पर संसद में हो रही फजीहत से परेशान कांग्रेस अब आक्रामक दिखने की कोशिश कर रही है। पांचवें दिन भी संसद की कार्रवाई हंगामे की भेंट चढ़ने के बाद अपनी ही सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव देने वाले आंध्र प्रदेश के छह सांसदों पर पार्टी ने कार्रवाई के संकेत दिए हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चुनावी नतीजों की निराशा और उस पर संसद में हो रही फजीहत से परेशान कांग्रेस अब आक्रामक दिखने की कोशिश कर रही है। पांचवें दिन भी संसद की कार्रवाई हंगामे की भेंट चढ़ने के बाद अपनी ही सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव देने वाले आंध्र प्रदेश के छह सांसदों पर पार्टी ने कार्रवाई के संकेत दिए हैं। फिर भी अविश्वास प्रस्ताव के मद्देनजर कांग्रेस ने गुरुवार को अपने सभी सांसदों को दोनों सदनों में रहने का व्हिप जारी कर दिया है।
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पार्टी का एक खेमा हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही बीच में ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने के पक्ष में भी है और इस बारे में भी चर्चाएं तेज हैं। लेकिन संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ ने सिरे से इसे खारिज किया और कहा कि चुनाव समय से होंगे।
गौरतलब है कि आरक्षण, 2जी स्पेक्ट्रम और तेलंगाना जैसे विवादों के चलते संसद के पांच दिन बर्बाद हो चुके हैं। सरकार कोई भी विधेयक पारित नहीं करा पा रही है और खास बात है कि इस दफा संसद की कार्यवाही विपक्ष नहीं, बल्कि सत्ता पक्ष के लोग ही बाधित कर रहे हैं। वह चाहे तेलंगाना मुद्दे पर कांग्रेस के सांसद हों या फिर उसके सहयोगी दल। कांग्रेस के प्रबंधक मान रहे हैं कि इससे पार्टी की और फजीहत हो रही है। इसीलिए, कांग्रेस ने सबसे पहले अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले सीमांध्र के अपने छह विधायकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का मन बनाया है।
कांग्रेस महासचिव व आंध्र प्रदेश के प्रभारी दिग्विजय सिंह ने सभी छह सांसदों से बातचीत की और कहा कि उपयुक्त कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, उन्होंने जोड़ा कि हम कोशिश कर रहे हैं कि बातचीत से बात बन जाए। गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे से भी इन छह सांसदों की मुलाकात हुई है। पार्टी ने संकेत दिए हैं कि वह इस दफा कार्रवाई से भी नहीं हिचकेगी।
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बागी सांसदों ने लगाई राष्ट्रपति से गुहार
संप्रग सरकार के खिलाफ संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाने की घोषणा करने के बाद कांग्रेस के बागी सांसदों के दल ने बुधवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से तेलंगाना के मुद्दे पर हस्तक्षेप करने की मांग की।
मुखर्जी के सामने पेश किए गए शपथपत्र में सीमांध्र के छह कांग्रेसी सांसदों के अलावा तीन अन्य लोक सभा सदस्यों के हस्ताक्षर भी हैं। हालांकि इस संबंध में पूछे जाने पर एक सांसद ने कहा कि वह अविश्वास प्रस्ताव के विरोध में हैं। बाकी दो सांसदों से उनके जवाब जानने के लिए संपर्क नहीं हो सका।
शपथपत्र में राष्ट्रपति से राज्यों के विभाजन की अब तक चली आ रही प्रक्रिया को ही अपनाने का आग्रह किया गया है। बंटवारे के लिए राज्य से पहले सहमति लेने की निर्धारित प्रक्रिया है। उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ और झारखंड बनाने के दौरान भी यही प्रक्रिया अपनाई गई थी।
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'चुनाव समय से मई में ही होंगे, उससे पहले कोई संभावना नहीं है।'
- कमलनाथ, संसदीय कार्यमंत्री
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