उप्र ने कहा, तीन साल से नहीं हुई ऑनर किलिंग
नई दिल्ली, [माला दीक्षित]। उत्तर प्रदेश में पिछले लगभग तीन सालों से न तो ऑनर किलिंग हुई है और न ही सामाजिक बहिष्कार की घटना घटी है। यह बात उत्तर प्रदेश सरकार ने लोगों को सुरक्षित माहौल देने और उनके अधिकारों की रक्षा करने की प्रतिबद्धता जाहिर करते हुए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में कही है। राज्य सरकार ने ऑनर किलिं
नई दिल्ली [माला दीक्षित]। उत्तर प्रदेश में पिछले लगभग तीन सालों से न तो ऑनर किलिंग हुई है और न ही सामाजिक बहिष्कार की घटना घटी है। यह बात उत्तर प्रदेश सरकार ने लोगों को सुरक्षित माहौल देने और उनके अधिकारों की रक्षा करने की प्रतिबद्धता जाहिर करते हुए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में कही है। राज्य सरकार ने ऑनर किलिंग के मामले में यह हलफनामा दाखिल किया है।
मालूम हो कि ऑनर किलिंग रोकने और प्रेमी जोड़ों को सुरक्षा देने की मांग वाली एक जनहित याचिका गैर सरकारी संगठन शक्ति वाहिनी ने दाखिल कर रखी है। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा, केंद्र सरकार और खाप पंचायतों से जवाब मांगा था। राज्य सरकार की ओर से यह हलफनामा मेरठ जोन के पुलिस महानिरीक्षक भवेश कुमार सिंह ने दाखिल किया है। हलफनामे में नागरिकों के मौलिक अधिकारों, मानवीय अधिकारों और जानमाल की सुरक्षा करने के सरकार के दायित्व को स्वीकार करते हुए कहा गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार लोगों को सुरक्षित और संरक्षित माहौल देने के लिए प्रतिबद्ध है। यह उसकी संवैधानिक जिम्मेदारी है। सरकार ने राज्य में मौजूद कुल खाप पंचायतों और उनके द्वारा समय-समय पर जारी फरमानों का पता लगाने के लिए सर्वे कराया है। सर्वे में पता चला कि खाप पंचायतें राज्य के पश्चिमी क्षेत्र में हैं। मेरठ, बुलंदशहर, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर (नोएडा), हापुड़ और सहारनपुर में कोई खाप पंचायत नहीं है।
हलफनामे में यह भी कहा है कि एक जनवरी, 2010 से 31 दिसंबर, 2012 तक राज्य में ऑनर किलिंग और सामाजिक बहिष्कार की कोई घटना या शिकायत नहीं मिली। जहां-जहां खाप पंचायतें हैं, उनकी गतिविधियों और फरमानों पर पैनी निगाह रखने के संबंधित थानों को समय-समय पर निर्देश जारी किए जाते हैं। सरकार ने प्रदेश में मौजूद कुल खाप पंचायतों और 1 जनवरी, 2010 से 31 दिसंबर, 2012 तक जारी किए गए खाप पंचायतों के फरमानों का विस्तृत ब्यौरा दिया है।
खाप पंचायत का तुगलकी फरमान
सात जुलाई, 2012 को बागपत के आसरा गांव में खाप पंचायत ने फरमान जारी किया कि गांव में 18 साल से कम उम्र के लड़के-लड़कियां मोबाइल फोन, हेड फोन और ईयर फोन का इस्तेमाल नहीं करेंगे। शादी में दहेज नहीं लिया जाएगा 40 वर्ष से कम उम्र की महिलाएं अकेले गांव के बाहर या बाजार नहीं जाएंगी और गांव की लड़कियां सिर पर दुपट्टा रखेंगी। इस पर उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि दहेज न लेने के फरमान को छोड़कर अन्य फरमानों को जबरदस्ती लागू न कराया जाए, इसके लिए उपाय किए गए हैं। लोगों पर किसी तरह की कोई रोक नहीं है।
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