धोखाधड़ी, ठगी जैसे आपराधिक कृत्यों पर उपभोक्ता फोरम से फैसला नहीं : सुप्रीम कोर्ट
शीर्ष अदालत ने कहा आयोग के समक्ष कार्यवाही प्रकृति में संक्षिप्त है तथ्यों के अत्यधिक विवादित प्रश्नों या कपटपूर्ण कृत्यों या धोखाधड़ी या धोखाधड़ी जैसे आपराधिक मामलों से जुड़ी शिकायतों को उक्त अधिनियम के तहत फोरम / आयोग द्वारा तय नहीं किया जा सकता है।
नई दिल्ली, एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है कि कपटपूर्ण कृत्यों या आपराधिक मामले जैसे धोखाधड़ी या धोखाधड़ी से जुड़े मामलों का फैसला उपभोक्ता फोरम नहीं कर सकता है। साथ ही कहा कि सेवा में कमी को आपराधिक कृत्यों से अलग किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने एनसीडीआरसी के एक आदेश को रद किया
अजय रस्तोगी और बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने 27 मार्च के आदेश पर ये टिप्पणियां पारित कीं, जबकि एक फरवरी, 2007 को चेन्नई में सर्किट बेंच के राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (National Consumer Disputes Redressal Commission) के एक आदेश को रद कर दिया।
सिटी यूनियन बैंक लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंधक ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, चेन्नई में सर्किट बेंच द्वारा पारित एक फरवरी, 2007 के निर्णय और आदेश के खिलाफ वर्तमान अपील को प्राथमिकता दी है। इसमें राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, चेन्नई द्वारा पारित 23 दिसंबर, 2004 के आदेश को बरकरार रखा था।
आपराधिक मामलों से जुड़ी शिकायतों को फोरम तय नहीं कर सकता: कोर्ट
शीर्ष अदालत ने कहा, ''आयोग के समक्ष कार्यवाही प्रकृति में संक्षिप्त है, तथ्यों के अत्यधिक विवादित प्रश्नों या कपटपूर्ण कृत्यों या धोखाधड़ी या धोखाधड़ी जैसे आपराधिक मामलों से जुड़ी शिकायतों को उक्त अधिनियम के तहत फोरम / आयोग द्वारा तय नहीं किया जा सकता है।''
शीर्ष अदालत ने आगे कहा, ''सेवा में कमी'' को अच्छी तरह से सुलझा लिया गया है। इसे आपराधिक कृत्यों या अत्याचारपूर्ण कृत्यों से अलग किया जाना चाहिए। अधिनियम की धारा 2(1)(जी) में विचार के अनुसार, सेवा में प्रदर्शन की गुणवत्ता, प्रकृति और तरीके में जानबूझकर गलती, अपूर्णता, कमी या अपर्याप्तता के संबंध में कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता है।