रात में भी खुली सीमा, राहत सामग्री पर कस्टम नहीं
भूकंप से मची तबाही के बाद भारत-नेपाल सरकार ने जांच पड़ताल व भंसार (कस्टम) के नियमों में ढील दे रखी है। भूंकप पीडि़तों को लाने के लिए रातभर सोनौली सीमा खुली रह रही है जबकि इस रास्ते राहत सामग्री भेजने के लिए भंसार शुल्क भी माफ कर दिया गया है।
महराजगंज। भूकंप से मची तबाही के बाद भारत-नेपाल सरकार ने जांच पड़ताल व भंसार (कस्टम) के नियमों में ढील दे रखी है। भूंकप पीडि़तों को लाने के लिए रातभर सोनौली सीमा खुली रह रही है जबकि इस रास्ते राहत सामग्री भेजने के लिए भंसार शुल्क भी माफ कर दिया गया है। सोनौली सीमा से तीन दिन के अंदर 116 ट्रक राहत सामग्री नेपाल भेजी गई है। पहले सोनौली की अंतरराष्ट्रीय सीमा रात को आठ बजे बंद हो जाती थी। राहत शिविर में तैनात एसएसबी जवान नेपाल की तरफ से आने वाले पर्यटकों को भोजन पानी मुहैया करा रहे हैं। यहां विभन्न जिलों, प्रांत से राहत सामग्री भी पहुंची रही है।
भंसार में छूट के कारण पीडि़तों तक जहां आसानी से सहायता पहुंच रही हैं, वहीं व्यवसायियों, स्वयं सेवी संस्थाओं को भी मदद को हाथ बढ़ाने में नियमों के जाल में उलझने से राहत मिली है। जिलाधिकारी महराजगंज सुनील कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि अब तक जो सामग्री भेजी गई है उसमें नमकीन, बिस्कुट, दाल, चावल, तौलिया, चादर, पानी शामिल हैं। 2500 तिरपाल भी भेजे गए हैं।
एसडीएम को बनाया नोडल अधिकारी
सोनौली में राहत सामग्री लेकर पहुंचने वाले ट्रकों को नेपाल में भंसार की औपचारिकता से मुक्त कराने एवं ट्रक ड्राइवरों के ठहरने के लिए विशेष शिविर लगाया गया है। इसके नोडल अधिकारी एसडीएम नौतनवां बनाए गए हैं।
13000 पीडि़त वापस आए
नेपाल में भूकंप के बाद अब तक तेरह हजार पीडि़त सोनौली रास्ते भारत लौटे हैं। उन्हें शिविर में शरण दी गई। वहां से वे गंतव्य के लिए रवाना हुए। इनमें उत्तर प्रदेश, महराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, कर्नाटक, झारंखड, तेलांगना आदि के लोग शामिल हैं।
पढ़ें: नेपाली दूतावास पहुंचे राहुल, मोबाइल से देखकर लिखा संदेश