अंधाधुंध फर्टिलाइजर के प्रयोग वाले क्षेत्रों के भूजल में बढ़ रहा नाइट्रेट, बढ़ रहा मानव स्वास्थ्य पर खतरा
देश के चार सौ से अधिक जिलों के भूजल में घातक रसायन घुलने से पीने के स्वच्छ व शुद्ध जल का गंभीर संकट पैदा हो गया है। ज्यादातर जिलों में नाइट्रेट और आयरन की मात्रा बढ़ रही है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। देश के चार सौ से अधिक जिलों के भूजल में घातक रसायन घुलने से पीने के स्वच्छ व शुद्ध जल का गंभीर संकट पैदा हो गया है। कई जिलों के भूजल में जहां पहले से ही फ्लोराइड, आर्सेनिक, आयरन और हैवी मेटल निर्धारित मानक से अधिक था, वहीं ज्यादातर जिलों में नाइट्रेट और आयरन की मात्रा बढ़ रही है। भूजल में नाइट्रेट बढ़ने के पीछे मानवजनित अतिक्रमण है। उन राज्यों के भूजल में नाइट्रेट ज्यादा बढ़ रहा है, जहां सघन खेती में फर्टिलाइजर का अंधाधुंध प्रयोग हो रहा है। हैवी मेटल्स और अन्य घातक रसायनों के भूजल में घुलने से पेयजल की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।
भूजल में नाइट्रेट का बढ़ना मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक
संसद में पूछे सवालों के जवाब में जल शक्ति मंत्रालय ने केंद्रीय भूजल आयोग की रिपोर्ट के आधार पर भूजल प्रदूषण का ब्यौरा दिया। सदन में बताया गया कि वैसे तो जल प्रबंधन और उसकी गुणवत्ता की जिम्मेदारी राज्य का विषय है, लेकिन केंद्र इस दिशा में लगातार कदम उठाता है। खासतौर पर भूजल प्रदूषण रोकने के लिए समय समय पर कदम उठाए जाते हैं। पानी में नाइट्रेट की मात्रा अधिक होने से पाचनक्रिया और सांस लेने में तकलीफ का खतरा बढ़ जाता है।
यूपी, एमपी, पंजाब और हरियाणा के ज्यादातर जिले प्रभावित
केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक देश के 18 राज्यों के 249 जिलों का भूजल खारा है जबकि 23 राज्यों के 370 जिलों में सामान्य मानक से अधिक फ्लोराइड पाया गया। 21 राज्यों के 154 जिलें में आर्सेनिक की शिकायत है। इसी तरह कैडमियम 24 जिलों के भूजल में, 92 जिलों में लेड, 341 जिलों में आयरन और 23 राज्यों के 423 जिलों के भूजल में नाइट्रेट की मात्रा सामान्य से अधिक मिल रही है। कृषि प्रधान राज्य उत्तर प्रदेश के 59, पंजाब के 19, हरियाणा के सभी 21 जिलों और मध्य प्रदेश के 51 जिलों के भूजल में नाइट्रेट की मात्रा अधिक पाई गई है। इन जिलों में फर्टिलाइजर के अंधाधुंध प्रयोग और सिंचाई की अवैज्ञानिक तकनीक के चलते यह समस्या पैदा हो रही है।
लोकसभा में लिखित उत्तर में मंत्रालय ने बताया कि 24 सितंबर, 2020 की एक अधिसूचना के मुताबिक राष्ट्रव्यापी भूजल की गुणवत्ता के लिए कई सख्त प्रविधान किए गए हैं जिनमें सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करना और जलाशयों व नदियों में गंदा पानी डालने के सारे स्त्रोतों को बंद करना शामिल है। इसी अधिसूचना के तहत केंद्र व राज्य सरकारें संयुक्त रूप से जल जीवन मिशन का संचालन कर रही हैं, ताकि लोगों को उनके घर तक नल से स्वच्छ व शुद्ध पेयजल की आपूर्ति की जा सके। इस मिशन की शुरुआत अगस्त 2019 में की गई थी। इसके तहत वर्ष 2024 तक देश के सभी ग्रामीण घरों को जलापूर्ति सुनिश्चित की जा सकेगी।