नीति आयोग आय कर छूट सीमा बढ़ाने के पक्ष में नहीं
फिलहाल ढाई लाख रुपये तक की सालाना आय कर मुक्त है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार को अगर नीति आयोग का सुझाव रास आया तो आम बजट 2017-18 में आय कर से छूट की मौजूदा सीमा नहीं बढ़ेगी। फिलहाल ढाई लाख रुपये तक की सालाना आय कर मुक्त है। आयोग के शीर्ष अधिकारियों का मानना है कि आय कर से छूट की मौजूदा सीमा को बनाए रखने से सरकार को करदाताओं का आधार बढ़ाने में मदद मिलेगी।
सूत्रों ने कहा कि नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पानागढि़या ने यह सुझाव दिया है। उनका यह भी कहना है कि ढाई लाख रुपये से पांच लाख रुपये के स्लैब को बढ़ाकर सात लाख रुपये कर दिया जाए। फिलहाल ढाई से पांच लाख रुपये तक की सालाना आमदनी 10 प्रतिशत टैक्स दर के दायरे में आती है। जबकि पांच लाख रुपये से अधिक आय होने पर 20 प्रतिशत की दर से आयकर देना होता है। उन्होंने यह सुझाव भी दिया है कि 10 लाख रुपये से अधिक की आय पर मौजूदा 30 फीसद के स्थान पर महज 25 प्रतिशत की दर होनी चाहिए।
सूत्रों ने कहा कि आयकरदाताओं के आधार को व्यापक बनाने की जरूरत के मद्देनजर यह सुझाव दिया गया है। देश में करदाता आधार बढ़ाने की जरूरत इसलिए है क्योंकि वर्तमान में कुछ ही लोग आय कर देते हैं। वित्त मंत्रालय के अनुसार वित्त वर्ष 2015-16 में मात्र 3.7 करोड़ करदाताओं ने ही आय कर रिटर्न दाखिल किया जबकि देश की आबादी 125 करोड़ से अधिक है। इसमें से भी 99 लाख करदाता ऐसे थे जिनकी सालाना आय ढाई लाख रुपये से कम थी और उन्होंने एक भी पैसा टैक्स नहीं दिया। वहीं 1.95 करोड़ करदाताओं ने अपनी आय 5 लाख रुपये से कम बतायी। 52 लाख करदाताओं ने अपनी वार्षिक आय 5 से 10 लाख रुपये के बीच बतायी है। सिर्फ 24 लाख करदाता ही हैं जिन्होंने सालाना आय 10 लाख रुपये से अधिक बतायी है। ऐसे में करदाताओं का आधार बढ़ाने की जरूरत है।
उल्लेखनीय है कि आर्थिक समीक्षा में भी इस बात की सिफारिश की गयी थी कि सरकार को आय कर से छूट की सीमा को नहीं बढ़ाना चाहिए ताकि लोगों की आय में होने वाली स्वाभाविक वृद्धि का लाभ करदाताओं का आधार व्यापक बनाने में मिल सके।
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