Nirbhaya Case: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ट्रायल कोर्ट तय कर सकता है फांसी की नई तारीख
दोषियों की फांसी की नई तारीख तय करने की मांग को लेकर ट्रायल कोर्ट ने 13 फरवरी को तिहाड़ प्रशासन की याचिका पर सुनवाई 17 फरवरी के लिए स्थगित कर दी।
नई दिल्ली, प्रेट्र। दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म कांड के दोषी कानूनी पेचीदगियों का लाभ उठाकर मौत से बचने के लिए लगातार देरी कर रहे हैं। ऐसे में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अलग से एक याचिका दाखिल कर हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट से उन दोषियों की सजा पर अमल करने की इजाजत मांगी है जिनके सारे कानूनी विकल्प समाप्त हो चुके हैं। इस पर शीर्ष कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि ट्रायल कोर्ट द्वारा फांसी का नया आदेश जारी करने की राह में यह याचिका बाधा नहीं बनेगी।
पीठ ने कहा- ट्रायल कोर्ट फांसी की नई तारीख जारी कर सकता है
जस्टिस आर. भानुमति, अशोक भूषण और एएस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि दोषियों की कोई याचिका सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित नहीं है। उनमें से तीन की दया याचिकाएं राष्ट्रपति खारिज कर चुके हैं और चौथे ने अभी तक क्षमादान याचिका दाखिल नहीं की है, लिहाजा ट्रायल कोर्ट फांसी की नई तारीख जारी कर सकता है।
ट्रायल कोर्ट करेगा तिहाड़ प्रशासन की याचिका पर सुनवाई 17 फरवरी को
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने बताया कि ट्रायल कोर्ट ने 13 फरवरी को तिहाड़ प्रशासन की उस याचिका पर सुनवाई 17 फरवरी के लिए स्थगित कर दी जिसमें दोषियों की फांसी की नई तारीख तय करने की मांग की गई थी।
चौथे दोषी पवन गुप्ता ने न तो क्यूरेटिव याचिका और न ही दया याचिका की दाखिल
ट्रायल कोर्ट का कहना था कि दया याचिका खारिज किए जाने को चुनौती देने वाली विनय शर्मा की याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इस पर पीठ ने कहा कि विनय शर्मा की याचिका आज (शुक्रवार को) खारिज की जा चुकी है और ट्रायल कोर्ट इस मामले में आगे की कार्यवाही कर सकता है। तुषार मेहता ने कहा कि चौथे दोषी पवन गुप्ता ने अभी तक न तो क्यूरेटिव याचिका और न ही दया याचिका दाखिल की है।
पीठ ने कहा- कोई भी किसी को राहत पाने के लिए मजबूर नहीं कर सकता
उनका अनुमान है कि 17 फरवरी को जब मामला ट्रायल कोर्ट के समक्ष लगेगा तभी सुप्रीम कोर्ट में भी एक और रिट याचिका दाखिल की जाएगी। इस पर पीठ ने कहा कि कोई भी किसी को राहत पाने के लिए मजबूर नहीं कर सकता।
जीवन के अधिकार को हथियार की तरह इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दिया जा सकता
तुषार मेहता ने कहा, 'अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) बहुत ही अहम अधिकार है, लेकिन न्याय को हराने के लिए हथियार के तौर पर इसका इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी जा सकती।' पीठ ने कहा, चूंकि ट्रायल कोर्ट ने मामले को 17 फरवरी को सूचीबद्ध किया है, लिहाजा बेहतर होगा कि यह अदालत उसके परिणाम का इंतजार करे। इसके बाद पीठ ने मामले की सुनवाई की अगली तारीख 20 फरवरी तय कर दी।