Move to Jagran APP

ध्रूमपान से होने वाली मौतों के लिए 'निकोटीन' को जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहिए: AVI

एवीआइ ने इस बात पर जोर दिया कि धूम्रपान से होने वाली मौतों के लिए निकोटीन को दोषी ठहराया नहीं जाना चाहिए।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Sat, 24 Mar 2018 11:14 AM (IST)Updated: Sat, 24 Mar 2018 11:15 AM (IST)
ध्रूमपान से होने वाली मौतों के लिए 'निकोटीन' को जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहिए: AVI
ध्रूमपान से होने वाली मौतों के लिए 'निकोटीन' को जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहिए: AVI

नई दिल्ली (आइएएनएस)। धूम्रपान से संबंधित मौतों के लिए निकोटीन को दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए। यह कहना है एसोसिएशन ऑफ वेपर्स इंडिया (एवीआइ) का। सरकार वेपिंग और स्मोकिंग के बीच सीमित जागरूकता को ध्यान में रखते हुए ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने से डर रही है। शनिवार को एवीआइ ने इस बात पर जोर दिया कि धूम्रपान से होने वाली मौतों के लिए निकोटीन को दोषी ठहराया नहीं जाना चाहिए।

loksabha election banner

एवीआइ के निदेशक सम्राट चौधरी ने कहा है कि वेपिंग से स्वास्थ्य जोखिम को लेकर लंबे स्तर पर लोगों को गलतफहमी है, जिस कारण भारत के कई राज्यों में ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह धूम्रपान करने वालों के लिए एक स्वस्थ विकल्प के अधिकार का बचाव करता है। बता दें कि वेपिंग का मतलब ई-सिगरेट या अन्य उपकरणों का उपयोग है, जिससे धूम्रपान (धुएं के सेवन) की बजाए वाष्प के रूप में निकोटीन या अन्य दवाओं से लोग सांस लेते हैं।

चौधरी ने कहा, यह गलतफहमी सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। ई-सिगरेट अन्य जगहों पर भी नकारात्मक सार्वजनिक धारणा की शिकार है। बता दें कि ई-सिगरेट बैटरी संचालित उपकरण है जो एक तरल पदार्थ (लिक्विड) का उपयोग करता है, जिसमें निकोटीन का इस्तेमाल हो सकता है। साथ ही स्वाद के संयोजन (फ्लेवरिंग), प्रोपलीन ग्लाइकोल, सब्जियों से निकाला गया तैलीय तत्व व अन्य सामग्री के इस्तेमाल से तैयार की जाती हैं।

जब धूम्रपान किया जाता है, तो सिगरेट टार और अन्य जहरीले रसायनों का धुआं छोड़ती है। जिसे धूम्रपान करने वालों के बीच समयपूर्व मृत्यु के लिए व्यापक रूप से जिम्मेदार माना जाता है। एवीआइ ने अपने बयान में कहा, इसके विपरीत ई-सिगरेट केवल निकोटीन का उत्पादन करती हैं। लेकिन यह सिगरेट से विपरीत स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं है, जो टार को छोड़ती हैं।

अमेरिकी फेडरल ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) के अनुसार, निकोटीन एक दवा है क्योंकि यह मस्तिष्क को उत्तेजित करती है और आनंद की भावना को बढ़ाती है, जिससे व्यक्ति द्वारा उसके निरंतर उपयोग को मजबूत करती है। यह कैंसर, फेफड़े और हृदय रोगों से गंभीर बीमारी से मौत का कारण नहीं है। यह कोई गंभीर बीमारी पैदा नहीं करता है। एफडीए के आयुक्त स्कॉट ने वर्ष 2017 में मैरीलैंड में व्हाइट ओक में हुई बैठक में यह कहा गया था, 'यह तंबाकू में अन्य रासायनिक यौगिकों और तंबाकू में आग लगाकर निर्मित धुआं लेना है, जो सीधे और मुख्य रूप से बीमारी और मौत का कारण बनता है, निकोटीन नहीं।' वहीं चौधरी ने कहा, 'दुर्भाग्य से बहुत से लोगों को पता ही नहीं है कि निकोटीन विलेन नहीं है।' एवीआइ के अधिकारी ने कहा कि अध्ययनों से पता चला है कि निकोटीन चाय और कॉफी में कैफीन जैसे सकारात्मक प्रभाव भी प्राप्त कर सकता है। जो उत्तेजक के रूप में कार्य करता है और हृदय की गति बढ़ाता है और संवेदी सूचना प्रसंस्करण की गति बढ़ाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.