एनआइए ने कहा- देश में सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने के लिए एसडीपीआइ की साजिश थी बेंगलुरु में हिंसा
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) द्वारा हाल ही में विशेष अदालत में दाखिल आरोप पत्र में कहा गया है कि पिछले साल 12 अगस्त को बेंगलुरु में हुई हिंसा देश में सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने के लिए सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआइ) की बड़ी साजिश थी।
बेंगलुरु, प्रेट्र। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) द्वारा हाल ही में विशेष अदालत में दाखिल आरोप पत्र में कहा गया है कि पिछले साल 12 अगस्त को बेंगलुरु में हुई हिंसा देश में सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने के लिए सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआइ) की बड़ी साजिश थी। इसके तहत दलित कांग्रेस विधायक आर. अखंड श्रीनिवास मूर्ति के घर और दो पुलिस स्टेशनों को आग लगा दी गई थी।
कर्नाटक के गृह मंत्री बोले, एसडीपीआइ के लिए आसान हथियार बन गया है इंटरनेट मीडिया
एनआइए ने इस मामले की जांच तब संभाली थी जब एक व्यक्ति ने कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर इसकी मांग की थी। एनआइए सूत्रों के मुताबिक, जांच एजेंसी ने इस मामले में 247 लोगों को आरोपित के तौर पर नामित किया है। आरोप पत्र पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कर्नाटक के गृह मंत्री बसावराज बोम्मई ने कहा कि यह एसडीपीआइ की साजिश थी और ऐसे संगठनों के लिए इंटरनेट मीडिया आसान हथियार बन गया है। ये हैंडलर (इंटरनेट मीडिया के) न सिर्फ भारत में हैं, बल्कि बाहर भी हैं। मुझे विश्वास है कि न्याय किया जाएगा।
विशेष अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर गहरी साजिश को किया उजागर
एनआइए आरोप पत्र के मुताबिक, अल्पसंख्यक समुदाय के चार हजार से ज्यादा लोगों द्वारा हिंसा का तात्कालिक कारण पुलकेशीनगर के विधायक आर. अखंड श्रीनिवास मूर्ति के भतीजे नवीन की कथित इंटरनेट मीडिया पोस्ट थी, लेकिन असल में एसडीपीआइ काडर ने हिंदू देवताओं के खिलाफ अपमानजनक पोस्ट और उन्हें टैग करके नवीन को उकसाया था। आरोप पत्र के मुताबिक, 'बेंगलुरु एसडीपीआइ अनुच्छेद-370 हटाने, सीएए व एनआरसी, अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले और तत्काल तीन तलाक जैसे कुछ मुद्दों पर केंद्र सरकार के फैसलों से नाराज था। वे देश में सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने और उसके जरिये देश में अशांति फैलाने की फिराक में थे।'
एसडीपीआइ ने आपराधिक और हिंदू समुदाय को भड़काने की साजिश रची थी
प्रमुख अभियुक्त फिरोज पाशा के एसडीपीआइ में शामिल होने के बाद मुहम्मद शरीफ, मुजम्मिल पाशा और एसडीपीआइ बेंगलुरु के अन्य नेताओं ने एक आपराधिक साजिश रची। इसके तहत उन्होंने फिरोज पाशा के फेसबुक अकाउंट के जरिये हिंदू देवताओं का अपमान करने वाले कुछ संदेशों को पोस्ट करके हिंदू समुदाय को भड़काने का फैसला किया। उन्होंने जानबूझकर 11 अगस्त, 2020 की तारीख चुनी क्योंकि उस दिन हिंदुओं का पवित्र त्योहार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी थी।
एनआइए ने कहा- फिरोज पाशा हिंसक हमले की योजना पर अमल के लिए पूरी तरह तैयार था
जांच एजेंसी ने बताया कि एसडीपीआइ का काडर किसी भी स्थिति और हिंसक हमले की योजना पर अमल के लिए पूरी तरह तैयार था। इसी के तहत फिरोज पाशा ने 11 अगस्त की दोपहर को वीडियो और आडियो क्लिप पोस्ट की थी। इसके बाद फिरोज ने नवीन को पोस्ट में टैग कर लिया, जिस पर नवीन ने उसी आक्रामक अंदाज में पैगंबर के खिलाफ प्रतिक्रिया व्यक्त की। नवीन के जवाब को देखने के बाद फिरोज ने मुस्लिम समुदाय और संगठनों के नेताओं से नवीन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने और पुलिस व सरकार पर कार्रवाई का दबाव बनाने के लिए संपर्क किया। रात में फिरोज पाशा ने एसडीपीआइ काडर और अन्य को नवीन व मूर्ति के घरों के साथ-साथ केजी हल्ली व डीजी हल्ली पुलिस थानों पर हमलों के भेजा था। इस हिंसा में चार लोग मारे गए थे।