NGT ने केरल में हथिनी की मौत का लिया संज्ञान, समिति बनाई, कार्रवाई पर मांगी रिपोर्ट
National Green Tribunal यानी NGT ने केरल के साइलेंट वैली जंगल में गर्भवती हथिनी की मौत के मामले का संज्ञान लेते हुए एक समिति गठित की है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal यानी NGT) ने भी केरल के साइलेंट वैली जंगल (Kerala's Silent Valley Forest) में गर्भवती हथिनी की मौत के मामले का संज्ञान लिया है। एनजीटी ने इस मामले में एक समिति गठित की है और उसको मामले में कार्रवाई संबंधी रिपोर्ट जमा करने का निर्देश जारी किया है। मालूम हो कि कथित तौर पर स्थानीय लोगों द्वारा पटाखों से भरे अनानास को खिलाने के कारण हुए विस्फोट के चलते हथिनी घायल हो गई थी। बाद में 27 मई को वेलियार नदी में उसने दम तोड़ दिया था।
हथिनी की मौत के बाद हुई पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पता चला था कि वह गर्भवती थी। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में यह भी पाया गया था कि अनानास खाने के बाद मुंह में विस्फोट होने से हथिनी का जबड़ा टूट गया था जिससे वह कुछ खा नहीं पा रही थी। एनजीटी ने कहा कि इस घटना को लेकर पूरे देश के लोग गुस्से में हैं। यह खबर सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गई है। एनजीटी ने कहा कि जंगलों में वन्य जीवों के संरक्षण के नियमों का पालन नहीं होने के चलते उनका इंसानों से संघर्ष बढ़ गया है।
एनजीटी ने कहा कि वन्य जीव संरक्षण नियमों का अनुपालन नहीं होने के कारण ही पशुओं की जान खतरे में आने की घटनाएं हो रही हैं। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि वास्तविक स्थिति का पता लगाने और वन्यजीवों के संरक्षण के लिए एक संयुक्त समिति का गठन जरूरी है। यह कदम भविष्य में मानव-पशु संघर्ष को कम करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों का पता लगाने के लिए उचित होगा। एनजीटी ने कहा कि समिति मामले की जांच करेगी और कार्रवाई के बारे में रिपोर्ट पेश करेगी।
एनजीटी की मानें तो भविष्य में ऐसी घटनाएं नहीं हों इसके लिए गठित समिति दीर्घकालिक प्रबंधन योजना भी सुझाएगी। वहीं पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स यानी पेटा (PETA) ने भी केरल में हथिनी की मौत और हिमाचल में गाय को विस्फोटक भरा खाना खिलाने के मामले में सरकार से पशुओं की सुरक्षा को लेकर कानून को मजबूत करने की अपील की है। पेटा का कहना है कि ऐसी घटनाएं केवल कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि पूरे देश में हो रही हैं।