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एनजीटी ने कहा- हानिकारक तत्वों से अनजान नागरिक श्रद्धा से पी रहे गंगाजल, अधिकारियों को दिए ये निर्देश

एनजीटी ने कहा है कि गंगाजल में हानिकारक तत्वों से अनजान देश के नागरिक श्रद्धापूर्वक उसे पीते रहते हैं। अधिकारियों से अपेक्षा तो की ही जाती है कि वे बंगाल में गंगा सागर समेत उचित स्थानों पर गंगाजल में हानिकारक तत्वों के स्तर के बारे में सूचित करें।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 10 Feb 2021 10:04 PM (IST)Updated: Wed, 10 Feb 2021 10:04 PM (IST)
एनजीटी ने कहा- हानिकारक तत्वों से अनजान नागरिक श्रद्धा से पी रहे गंगाजल, अधिकारियों को दिए ये निर्देश
एनजीटी ने कहा है कि गंगाजल में हानिकारक तत्वों से अनजान देश के नागरिक श्रद्धापूर्वक उसे पीते रहते हैं।

नई दिल्ली, पीटीआइ। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बुधवार को कहा कि गंगाजल में हानिकारक तत्वों से अनजान देश के नागरिक श्रद्धापूर्वक उसे पीते रहते हैं। अधिकारियों से कम से कम इतनी अपेक्षा तो की ही जाती है कि वे बंगाल में गंगा सागर समेत उचित स्थानों पर गंगाजल में हानिकारक तत्वों के स्तर के बारे में सूचित करें। एनजीटी के चेयरमैन जस्टिस एके गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि गंगा में प्रदूषण रोकने के लिए अधिकारियों को युद्धस्तर पर कदम उठाने की जरूरत है।

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राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal, NGT) ने यह भी कहा कि उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और बंगाल में सभी स्तरों पर गंगा में प्रदूषण पर नियंत्रण को गंभीरता से लेने की जरूरत है। ट्रिब्यूनल ने कहा, 'इसके अभाव में गंगा पुनरुद्धार के वांछित परिणाम जो हर भारतीय का सपना है, हासिल नहीं हो पाएंगे।'

एनजीटी ने कहा, हालांकि कुछ कदम उठाए गए हैं, लेकिन नेशनल मिशन फार क्लीन गंगा द्वारा दाखिल अनुपालन रिपोर्ट दिखाती है कि विभिन्न परियोजनाएं टेंडर या डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) के स्तर पर हैं और भारत सरकार की सहायता व धन की उपलब्धता के बावजूद जारी परियोजनाओं को समयबद्ध तरीके से पूरा करने की प्रक्रिया अभी भी चुनौती है। ट्रिब्यूनल ने कहा कि गंगा में प्रदूषण पर नियंत्रण तब तक अधूरा रहेगा जब तक उसकी सभी सहायक नदियों और उससे जुड़े निकास में प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं किया जाता।

उल्‍लेखनीय है कि बीते दिनों एनजीटी ने गंगा एवं दूसरी जल इकाइयों में प्रदूषक तत्वों का उत्सर्जन रोकने में विफल रहने पर राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (National Mission for Clean Ganga, NMCG) की खिंचाई की थी। एनजीटी ने कहा था कि एनएमसीजी की रिपोर्ट में कोई अर्थपूर्ण कार्रवाई नहीं दिखाई देती है। रिपोर्ट में यह नहीं दिख रहा कि जल शक्ति मंत्रालय के अधिकारियों ने कोई बैठक की हो या फील्ड का दौरा किया हो।


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