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आदेश का पालन न होने पर एनजीटी ने की रक्षा मंत्रालय की खिंचाई

एनजीटी ने शुक्रवार को रक्षा मंत्रालय की खिंचाई की।पर्यावरणीय नियमों से संबंधित आदेश का पालन नहीं किए जाने पर फटकार लगाई गई है।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Sat, 15 Feb 2020 07:50 AM (IST)Updated: Sat, 15 Feb 2020 07:50 AM (IST)
आदेश का पालन न होने पर एनजीटी ने की रक्षा मंत्रालय की खिंचाई

नई दिल्ली, एएनआइ।पर्यावरणीय नियमों से संबंधित आदेश का पालन नहीं किए जाने पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने शुक्रवार को रक्षा मंत्रलय की खिंचाई की। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘बार- बार की विफलता को देखते हुए संबंधित संयुक्त सचिव पर कार्रवाई जरूरी हो गई है। इसमें वेतन अटैच करने समेत वारंट जारी किया जाना भी शामिल है। रक्षा मंत्रलय दो सप्ताह के भीतर संबंधित संयुक्त सचिव का नाम बताए।’

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एनजीटी का आदेश रिटायर्ड एयर मार्शल अनिल चोपड़ा की अर्जी पर आया। एनजीटी ने आदेश में कहा था कि सैन्य हथियारों, घरेलू, औद्योगिक, जैविक, हॉस्पिटल तथा इलेक्ट्रॉनिक गतिविधियों से पैदा होने वाले कचरे का जनहित में वैज्ञानिक तरीके से निपटारा किया जाना चाहिए। एनजीटी ने रक्षा मंत्रलय से भी कहा था कि उसके विभिन्न प्रतिष्ठानों में पर्यावरणीय नियमों के पालन संबंधी स्थिति रिपोर्ट लेकर संबंधित संयुक्त सचिव हाजिर रहें। लेकिन अधिकारी की गैरहाजिरी पर नाराजगी जताते हुए अधिकरण ने मामले की सुनवाई दो मार्च को सूचीबद्ध कर दी।

जब ग्रीन ट्रिब्यूनल सशस्त्र बलों द्वारा पर्यावरणीय मानदंडों के अनुपालन के एक मुद्दे पर सुनवाई कर रहा था, जो कि सेवानिवृत्त एयर मार्शल अनिल चोपड़ा के पत्र द्वारा उठाया गया था।

एनजीटी की प्रिंसिपल बेंच ने पिछले साल दिसंबर में रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट को प्रस्तुत करने में विफलता पर कार्रवाई करते हुए संबंधित संयुक्त सचिव, रक्षा मंत्रालय को तलब किया था और उन्हें अगली तारीख पर स्थिति रिपोर्ट के साथ मौजूद रहने का निर्देश दिया था।

याचिकाकर्ता के अनुसार, जिन्होंने यूपी सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट मॉनिटरिंग कमेटी के एक हिस्से के रूप में भी काम किया है, सशस्त्र बलों के कुछ प्रतिष्ठानों में पारिस्थितिक मुद्दों और विशेष रूप से वर्जिन क्षेत्र में पर्यावरणीय चुनौतियों के समाधान के लिए आवश्यक ज्ञान का अभाव है।इसमें दलील दी गई है कि सैन्य हथियारों, घरेलू, औद्योगिक, जैविक, अस्पताल और इलेक्ट्रॉनिक गतिविधियों (ई-कचरे) से उत्पन्न कचरे को वैज्ञानिक रूप से सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण के हित में निपटाया जाना चाहिए।


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