सुधार दिखा तो एनजीटी हटा सकता है निर्माण पर लगी पाबंदी
बिल्डरों की ओर से पेश हुए कुछ वकीलों ने ट्रिब्यूनल से इस आधार पर निर्माण पर लगी रोक को हटाने का अनुरोध किया था कि पिछले दो दिनों में दिल्ली की हवा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। एनजीटी ने एनसीआर में निर्माण गतिविधियों पर लगी रोक को हटाने पर शुक्रवार को विचार करने के संकेत दिए हैं। दिल्ली सरकार को राजधानी में वायु की गुणवत्ता के आंकड़े पेश करने का निर्देश देते हुए ट्रिब्यूनल ने कहा कि इन्हीं आंकड़ों के आधार पर ही वो एनसीआर में निर्माण गतिविधियों पर रोक हटाने या न हटाने के बाबत फैसला लेगा।
एनजीटी प्रमुख जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष दिल्ली सरकार ने कहा कि एनजीटी के निर्देशों के अनुसार दिल्ली के आइटीओ क्षेत्र में पानी का छिड़काव किया गया था। जिसके परिणामस्वरूप पीएम 2.5 के स्तर में कमी आई है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के निगरानी केंद्र की जांच में इसकी पुष्टि हुई है।
बिल्डरों तथा उद्योगों की ओर से पेश हुए कुछ वकीलों ने ट्रिब्यूनल से इस आधार पर निर्माण पर लगी रोक को हटाने का अनुरोध किया था कि पिछले दो दिनों में दिल्ली की हवा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
लेकिन पीठ का कहना था कि तुरंत निर्माण शुरू करने की ऐसी कोई मजबूरी नहीं है। लिहाजा किसी भी बिल्डर को अभी निर्माण शुरू करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। 'हम आंकड़े देखने के बाद ही कल शुक्रवार को इस संबंध में आदेश पारित करेंगे।'
इससे पहले एनजीटी ने 14 नवंबर को दिल्ली में अत्यधिक वायु प्रदूषण पर चिंता जताई थी और स्थिति को 'पर्यावरणीय एवं स्वास्थ्यगत आपातकाल' करार दिया था। उसका कहना था कि शहर अपने बच्चों को उपहार स्वरूप संक्रमित फेफड़े नहीं भेंट कर सकता।
इसी के साथ ट्रिब्यूनल ने महिलाओं और दुपहियों को प्रस्तावित ऑड-ईवेन स्कीम से छूट देने की दिल्ली सरकार की अपील को ठुकरा दिया था साथ ही दस साल से ज्यादा पुराने डीजल वाहनो को हर हाल में सड़क से हटाने को कहा था।
इससे पूर्व 11 नवंबर को एनजीटी ने का था कि वो महिलाओं तथा दुपहियों को ऑड-इवेन स्कीम से छूट देने की अनुमति नहीं देगा।
यह भी पढ़ें: NGT का दिल्ली सरकार को आदेश- सड़क से हटाए दस साल पुरानी डीजल टैक्सियां