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अगला अधिवेशन अब आजाद भारत में होगा...

23 नवंबर 1946 में आजादी के पहले मेरठ के विक्टोरिया पार्क में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन के दौरान गुलामी के बावजूद आचार्य कृपलानी की अगुवाई में तिरंगा फहराया गया था।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 14 Aug 2018 12:08 PM (IST)Updated: Tue, 14 Aug 2018 12:08 PM (IST)
अगला अधिवेशन अब आजाद भारत में होगा...
अगला अधिवेशन अब आजाद भारत में होगा...

मेरठ [रवि प्रकाश तिवारी]। 23 नवंबर, 1946। समूचा देश आजाद भारत में सांस लेने को व्याकुल था। इधर, मेरठ, उत्तर प्रदेश के विक्टोरिया पार्क मैदान में कांग्रेस का 55वां अधिवेशन शुरू होने जा रहा था। पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार बल्लभ भाई पटेल, आचार्य जेबी कृपलानी, सिद्धरमैया और शाहनवाज खान जैसे रणनीतिकारों ने चार दिनों तक गहन चिंतन-मंथन के बाद राजनीतिक प्रस्ताव पास किया और घोषणा हुई कि अब कांग्रेस का अगला अधिवेशन आजाद भारत में होगा... हुआ भी ऐसा ही।

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गांधी नहीं आ सके थे

विक्टोरिया पार्क में आजादी से पहले हुए कांग्रेस के अंतिम अधिवेशन में सभी राजनीतिज्ञों को आभास हो गया था कि आजादी अब दूर नहीं। मेरठ में आयोजित इस अधिवेशन में महात्मा गांधी शामिल नहीं हो सके थे क्योंकि वे पूर्वी बंगाल के नौखाली में फैली अशांति को शांत करने में जुटे थे।

चंदे में चवन्नी, पहुंचे थे 20 हजार

अधिवेशन में देशभर से करीब 20 हजार लोग पहुंचे थे। कुछ ही दूरी पर तंबुओं की उपनगरी बसाई गई थी। जहां आज शर्मा नगर है। इस अधिवेशन में चंदे के रूप में 25 पैसे (चवन्नी) प्रत्येक सदस्य से लिए जाते थे।

प्रथम स्वाधीनता संग्राम का गवाह

विक्टोरिया पार्क की गाथा 1857 के गदर से भी जुड़ती है। चमड़ी लगे कारतूस का विरोध करने वाले 85 भारतीय सैनिकों को कोर्ट मार्शल की कार्रवाई के बाद यहीं स्थित जेल में लाया गया था। बाद में शहरभर में क्रांति फूटने के बाद भारतीय सिपाहियों के साथी यहां पहुंचे और जेल तोड़कर सभी 85 सैनिकों को छुड़ा ले गए। इसके बाद ही दिल्ली कूच किया गया।

फहराया गया था तिरंगा

23 नवंबर 1946 में आजादी के पहले मेरठ के विक्टोरिया पार्क में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन के दौरान गुलामी के बावजूद आचार्य कृपलानी की अगुवाई में तिरंगा फहराया गया था। यह झंडा हस्तिनापुर निवासी देव नागर के पास धरोहर के रूप में रखा गया। जिस स्तंभ पर तिरंगा फहराया गया, वह आज भी मैदान के बीचोबीच सीना ताने खड़ा है।

मेरठ से हुईं तीन घोषणाएं

- आजाद भारत ऐसा होगा, जिसकी संसद में माफिया व बाहुबलियों को कोई जगह नहीं मिलेगी।

- लोकतंत्र में किसी एक परिवार के हाथों में सत्ता नहीं होगी। जाति-धर्म के आधार पर मतदान नहीं होगा।

- न्याय मिलने में देरी नहीं होगी, आम आदमी को सरल और सुलभ न्याय मिलेगा।


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