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एक महीने में 10 से 51 फीसद हुए 'वैरिएंट आफ कंसर्न' के मामले, जानें इस पर कितनी कारगर हैं वैक्‍सीन

कोरोना के नए-नए स्वरूप चिंता का सबब बनते जा रहे हैं। वायरस के ऐसे नए वैरिएंट अपनी आक्रामक क्षमता से भारी तबाही मचा रहे हैं। जानें इन पर कितनी कारगर हैं कोविड रोधी वैक्‍सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन ...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 28 Jun 2021 10:06 PM (IST)Updated: Tue, 29 Jun 2021 07:11 AM (IST)
कोरोना के नए-नए स्वरूप चिंता का सबब बनते जा रहे हैं।

नई दिल्ली, पीटीआइ। कोरोना के नए-नए स्वरूप चिंता का सबब बनते जा रहे हैं। कुछ-कुछ अंतराल पर वायरस के ऐसे नए स्वरूप यानी वैरिएंट सामने आ रहे हैं जो अपनी आक्रामक क्षमता से भारी तबाही मचा रहे हैं। वायरस के कुछ स्वरूपों को 'वैरिएंट आफ कंसर्न' की श्रेणी में रखा गया है यानी ये वो स्वरूप हैं जो संक्रामक होने के साथ ही साथ घातक भी हैं। पिछले एक महीने में देश में ऐसे वैरिएंट के मामले 10 फीसद से बढ़कर 51 फीसद हो गए हैं।

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10 फीसद मामले नए वैरिएंट के

सूत्रों के मुताबिक गृह मामलों की संसद की स्थायी समिति को सरकार के शीर्ष अधिकारियों ने बताया कि मई में कोरोना वायरस के कुल संक्रमण में 10 फीसद मामले कोरोना के चिंताजनक स्वरूपों यानी वैरिएंट आफ कंसर्न के थे, जो 20 जून तक बढ़कर 51 फीसद तक पहुंच गए। इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि इनके खिलाफ देश में निर्मित कोविशील्ड और कोवैक्सीन टीकों का असर भी कम हुआ है, हालांकि ये अभी कारगर हैं।

दूसरी लहर के प्रभाव को बताया

इस समिति की अध्यक्ष कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा हैं। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण, गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव गोविंद मोहन, वित्त मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के. राजा रमन उन अधिकारियों में शामिल थे, जिन्होंने समिति के समक्ष कोविड की दूसरी लहर के 'सामाजिक-आर्थिक परिणाम' पर अपनी बात रखी।

174 जिलों में पाए गए डेल्‍टा वैरिएंट

कोरोना वायरस के कई चिंताजनक स्वरूपों के बारे में जानकारी साझा करते हुए अधिकारियों ने समिति को बताया कि इनमें अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा स्वरूप शामिल हैं। उन्होंने कहा कि 35 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के 174 जिलों में ये स्वरूप पाए गए हैं। इनके सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब, तेलंगाना, बंगाल और गुजरात सामने आए हैं।

इसलिए घातक है नए वैरिएंट

सूत्र ने कहा कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) और 'नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी' की ओर से इन स्वरूपों के खिलाफ कोवैक्सीन और कोविशील्ड के असर को लेकर किए गए अध्ययन से पता चलता है कि इन स्वरूपों में प्रतिरोधक क्षमता अन्य स्वरूपों के मुकाबले थोड़ा घट जाती है, लेकिन टीके बीमारी के गंभीर स्वरूप में प्रभावी हैं। समिति को बताया गया कि डेल्टा प्लस के असर को लेकर भी इसी तरह का अध्ययन किया जा रहा है।

अगले छह महीने में 135 करोड़ डोज मिलेंगी

सूत्रों के मुताबिक, टीकों की उपलब्धता के बारे में अधिकारियों ने स्थायी समिति को सूचित किया कि इस साल अगस्त से दिसंबर के बीच 135 करोड़ डोज उपलब्ध कराई जाएंगी। ये डोज कोविशील्ड, कोवैक्सीन, स्पुतनिक-वी, जायडस कैडिला का डीएनए टीका और 'बायो ई सबयूनिट' टीके की होंगी।

मुंबई के 50 फीसद से ज्यादा बच्चे हो चुके हैं संक्रमित

मिड-डे, मुंबई। विशेषज्ञों की तरफ से अभी तक यह चेताया जा रहा था कि कोरोना की संभावित तीसरे लहर में सबसे ज्यादा बच्चों को खतरा होगा, लेकिन बृहन्मुंबई नगर पालिका परिषद यानी बीएमसी द्वारा कराए गए सीरो सर्वे में हैरान करने वाली जानकारी सामने आई है। इसके मुताबिक महानगर के 50 फीसद से ज्यादा बच्चे कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं, क्योंकि इनमें कोरोना के खिलाफ एंटीबाडी पाई गई है।

51 फीसद बच्चों में मिली एंटीबाडी

बीएमसी ने एक अप्रैल से 15 जून के बीच महानगर के सभी 24 वार्ड में 18 साल से कम उम्र के 2,176 बच्चों के बीच यह सर्वे किया था, इसमें 51 फीसद बच्चों में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबाडी पाई गई। सीरो पाजिटिविटी की दर सबसे ज्यादा 53.43 फीसद 10-14 साल के बच्चों में मिली। जबकि, 1-4 साल के बच्चों में 51.04 फीसद, 5-9 साल के बच्चों में 47.33 फीसद और 15-18 साल के बच्चों में यह 51.39 फीसद पाई गई है।


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