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आज से नक्सल प्रभावित बस्तर में शुरू होगी नई शांति प्रक्रिया, ऑनलाइन जुड़ेंगे डेढ़ सौ गांवों के ग्रामीण

सामाजिक कार्यकर्ता शुभ्रांशु चौधरी ने बस्तर में चार दशक से हो रही हिंसा के समाधान के लिए नई शांति प्रक्रिया की शुरुआत की है। नई शांति प्रक्रिया की ओर से बीते 15 अगस्त से ऑनलाइन जनमत संग्रह कराया जा रहा है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 01 Oct 2020 07:44 PM (IST)Updated: Thu, 01 Oct 2020 07:44 PM (IST)
आज से नक्सल प्रभावित बस्तर में शुरू होगी नई शांति प्रक्रिया, ऑनलाइन जुड़ेंगे डेढ़ सौ गांवों के ग्रामीण
नक्सल प्रभावित बस्तर जिला, जहां नई शांति प्रक्रिया की शुरुआत होगी (फाइल फोटो)।

अनिल मिश्रा, जगदलपुर। गांधी जी के जन्म दिवस पर नक्सल प्रभावित बस्तर में नई शांति प्रक्रिया की शुरुआत होने जा रही है। इसमें एक अनूठी ई- रैली का आयोजन किया जाएगा, जिसका नाम दिया है- चुप्पी तोड़ो। इसकी खासियत यह है कि इसमें नक्सल प्रभावित डेढ़ सौ गांवों के ग्रामीण ऑनलाइन जुड़ेंगे। ई-रैली में ग्रामीणों के अलावा विदेशी विशेषज्ञ व फिल्मी हस्तियां भी भाग ले रही हैं। 

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15 अगस्त से कराया जा रहा ऑनलाइन जनमत संग्रह 

सामाजिक कार्यकर्ता शुभ्रांशु चौधरी ने बस्तर में चार दशक से हो रही हिंसा के समाधान के लिए नई शांति प्रक्रिया की शुरुआत की है। नई शांति प्रक्रिया की ओर से बीते 15 अगस्त से ऑनलाइन जनमत संग्रह कराया जा रहा है। गोंडी, हल्बी, हिंदी भाषा में कराए जा रहे जनमत संग्रह में शांति कैसे आए इस पर लोगों के विचार लिए गए हैं। इस सर्वेक्षण के नतीजे भी दो अक्टूबर को जारी किए जाएंगे। 

बस्तर में नक्सली हिंसा चार दशक से जारी है, वैसी ही हिंसा के शिकार दुनिया के कई और देश भी हो चुके हैं। कंबोडिया, फिलीपींस, कोलंबिया व नेपाल में शांति वार्ता के जरिए हिंसा पर रोक लगाई जा चुकी है। इन देशों के विशेषज्ञ भी परिचर्चा में भाग लेंगे और बताएंगे कि अन्य देशों में चल शांति प्रक्रिया से भारत क्या सीख ले सकता है। 

पिछले दिनों मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में बस्तर में बढ़ते नक्सली आतंक पर चर्चा में यह बात सामने आई कि अगस्त तक नक्सली 59 लोगों की हत्या कर चुके थे। अब आंकड़ा 76 पर पहुंच चुका है। प्रदेश में सरकार बदलने के बाद डेढ़ साल तक तो सब ठीक रहा पर अब नक्सल मोर्चे पर सरकार की किरकिरी होने लगी है। फोर्स में शामिल अफसर भी दबी जुबान से कहने लगे हैं कि नक्सल मोर्चे पर राज्य सरकार के स्तर पर कोई योजना नहीं है।


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