New Motor Act: जानिए, जुर्माना बढ़ाए बगैर भी सड़क हादसों में कमी लाई जा सकती है
दिल्ली समेत जिन राज्यों ने केवल जुर्माने बढ़ाने के बजाय यातायात नियम अनुपालन पर सख्ती शुरू की वहां हादसों व मौतों दोनों पर प्रभावी अंकुश लगा है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। महज जुर्माना बढ़ाने से सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता। बल्कि कानून को सख्ती से लागू करने से भी बेहतर परिणाम बेहतर प्राप्त किए जा सकते हैं। कई राज्यों ने इसे करके दिखाया भी है। उन्होंने संशोधित मोटर एक्ट के बढ़े जुर्माने वसूले वगैर सड़क पर निगरानी बढ़ाकर उन राज्यों से बेहतर परिणाम प्राप्त किए हैं जिन्होंने अपने यहां जुर्माने बढ़ाए हैं। सड़क दुर्घटनाओं के नवीनतम आंकड़ों से इसकी पुष्टि होती है।
सड़क दुर्घटनाओं में गिरावट
सड़क मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए इन आंकड़ों के अनुसार जनवरी-सितंबर के दौरान देश में सड़क दुर्घटनाओं में 2.2 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है। जबकि मौतों का आंकड़ा सिर्फ 0.2 फीसद बढ़ा है। सड़क दुर्घटनाओं के राज्यवार आंकड़ों से पता चलता है कि जो राज्य मोटर एक्ट को सख्ती से लागू कर रहे हैं वहां हादसे व मौतें दोनों घट रही हैं। भले ही उन्होंने एक्ट के तहत जुर्माना बढ़ाने से इनकार कर दिया हो। इनमें गुजरात, पश्चिम बंगाल और उत्तराखंड जैसे राज्य शामिल हैं। गुजरात में हादसे 9.6 फीसद, जबकि मौतें 9.6 फीसद घटी हैं। उत्तराखंड में हादसों में 5.2 फीसद व मौतों में 16.7 फीसद की कमी आई। इसी प्रकार पश्चिम बंगाल में क्रमश: 4.6 तथा 3.4 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है।
उदासीनता दिखाने वाले उप्र व केरल जैसे राज्यों में हादसे व मौतें बढ़ीं
परंतु उत्तर प्रदेश और केरल जैसे जिन राज्यों ने उदासीनता दिखाई है, वहां हालात बदतर हुए हैं। उत्तर प्रदेश में हादसों में 1.7 फीसद, जबकि मौतों में 3.7 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। जबकि केरल में सड़क दुर्घटनाओं में 3 फीसद और मौतों में 4.3 फीसद का इजाफा हुआ है। इसी प्रकार पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में हालात खराब हुए हैं। मसलन, मेघालय में हादसों में 31.2 फीसद, जबकि मौतों में 7.3 फीसद का इजाफा हुआ है। मणिपुर में भी हादसे 22 फीसद और मौतें 12.8 फीसद बढ़ी हैं।
गुजरात, पश्चिम बंगाल ने बढ़े जुर्मानों को लागू करने से इन्कार किया था
संशोधित मोटर एक्ट अगस्त में संसद से पास हुआ था। जबकि 1 सितंबर से इसके बढ़े जुर्मानों वाले प्रावधान लागू कर दिए गए थे। इस पर गुजरात, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड समेत कई राज्यों ने बढ़े जुर्मानों को लागू करने से इन्कार कर दिया था और कम जुर्मानों से ही यातायात उल्लंघनों में कमी लाने का संकेत दिया था। इनका कहना था कि संशोधित एक्ट में सीट बेल्ट या हेलमेट बगैर गाड़ी चलाने जैसे कंपांउडेबल अपराधों में भी जुर्मानों को अनापशनाप बढ़ा दिया गया है, जिससे आम जनता के उत्पीड़न का खतरा है। जबकि जुर्माना बढ़ाए बगैर केवल सख्त अनुपालन से भी हादसों में कमी लाई जा सकती है।
सड़क मंत्रालय की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार जनवरी-सितंबर, 2019 तक की अवधि में देश में कुल 339,135 सड़क दुर्घटनाएं हुई, जिनमें 112,735 लोगों की मौत हुई, जबकि 345,067 लोग घायल हुए। इससे पहले जनवरी-सितंबर 2018 में 346,806 दुर्घटनाओं में 355,042 लोगों की मौत हुई थी और 339,135 लोग घायल हुए थे। इससे पता चलता है कि मोटर एक्ट लागू होने के एक माह समेत नौ महीनो में केवल 7671 दुर्घटनाएं कम हुई। जबकि 266 मौतें बढ़ गई। घायलों का आंकड़ा भी केवल 9975 कम हुआ है।
जुर्माने बढ़ाने के बजाय यातायात नियम की सख्ती से सड़क हादसों में आयी कमी
दूसरी ओर जिन राज्यों ने केवल जुर्माने बढ़ाने के बजाय यातायात नियम अनुपालन पर सख्ती शुरू की, वहां हादसों व मौतों दोनों पर प्रभावी अंकुश लगता दिखाई देता है। उदाहरण के लिए दिल्ली को लें। यहां जुर्मानों के अलावा कंपाउंडिंग उल्लंघनों के चालान भी कोर्ट भेजे जाने के कारण कम चालानों के बावजूद हादसों में 12 फीसद तथा मौतों में 19 फीसद की उल्लेखनीय कमी आई है।